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रोमियों 5:1-10

रोमियों 5:1-10 HINOVBSI

अत: जब हम विश्‍वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्‍वर के साथ मेल रखें, जिसके द्वारा विश्‍वास के कारण उस अनुग्रह तक जिसमें हम बने हैं, हमारी पहुँच भी हुई, और परमेश्‍वर की महिमा की आशा पर घमण्ड करें। केवल यही नहीं, वरन् हम क्लेशों में भी घमण्ड करें, यह जानकर कि क्लेश से धीरज, और धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है; और आशा से लज्जा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्‍वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है। क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्‍तिहीनों के लिये मरा। किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो दुर्लभ है; परन्तु हो सकता है किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी साहस करे। परन्तु परमेश्‍वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा। अत: जब कि हम अब उसके लहू के कारण धर्मी ठहरे, तो उसके द्वारा परमेश्‍वर के क्रोध से क्यों न बचेंगे? क्योंकि बैरी होने की दशा में उसके पुत्र की मृत्यु के द्वारा हमारा मेल परमेश्‍वर के साथ हुआ, तो फिर मेल हो जाने पर उसके जीवन के कारण हम उद्धार क्यों न पाएँगे?

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