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रोमियों 11:19-36

रोमियों 11:19-36 HINOVBSI

फिर तू कहेगा, “डालियाँ इसलिये तोड़ी गईं कि मैं साटा जाऊँ।” ठीक है, वे तो अविश्‍वास के कारण तोड़ी गईं, परन्तु तू विश्‍वास से बना रहता है इसलिये अभिमानी न हो, परन्तु भय मान, क्योंकि जब परमेश्‍वर ने स्वाभाविक डालियों को न छोड़ा तो तुझे भी न छोड़ेगा। इसलिये परमेश्‍वर की कृपा और कड़ाई को देख! जो गिर गए उन पर कड़ाई, परन्तु तुझ पर कृपा, यदि तू उसमें बना रहे, नहीं तो तू भी काट डाला जाएगा। वे भी यदि अविश्‍वास में न रहें, तो साटे जाएँगे; क्योंकि परमेश्‍वर उन्हें फिर साट सकता है। क्योंकि यदि तू उस जैतून से, जो स्वभाव से जंगली है, काटा गया और स्वभाव के विरुद्ध अच्छे जैतून में साटा गया, तो ये जो स्वाभाविक डालियाँ हैं, अपने ही जैतून में क्यों न साटे जाएँगे। हे भाइयो, कहीं ऐसा न हो कि तुम अपने आप को बुद्धिमान समझ लो; इसलिये मैं नहीं चाहता कि तुम इस भेद से अनजान रहो कि जब तक अन्यजातियाँ पूरी रीति से प्रवेश न कर लें, तब तक इस्राएल का एक भाग ऐसा ही कठोर रहेगा। और इस रीति से सारा इस्राएल उद्धार पाएगा। जैसा लिखा है, “छुड़ानेवाला सिय्योन से आएगा, और अभक्‍ति को याकूब से दूर करेगा; और उनके साथ मेरी यही वाचा होगी, जब कि मैं उनके पापों को दूर कर दूँगा।” सुसमाचार के भाव से तो तुम्हारे लिये वे परमेश्‍वर के बैरी हैं, परन्तु चुन लिये जाने के भाव से वे बापदादों के कारण प्यारे हैं। क्योंकि परमेश्‍वर के वरदान और बुलाहट अटल हैं। क्योंकि जैसे तुम ने पहले परमेश्‍वर की आज्ञा न मानी, परन्तु अभी उनके आज्ञा न मानने से तुम पर दया हुई; वैसे ही उन्होंने भी अब आज्ञा न मानी, कि तुम पर जो दया होती है इससे उन पर भी दया हो। क्योंकि परमेश्‍वर ने सब को आज्ञा–उल्‍लंघन का बन्दी बना कर रखा, ताकि वह सब पर दया करे। आहा! परमेश्‍वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गंभीर है! उसके विचार कैसे अथाह, और उसके मार्ग कैसे अगम हैं! “प्रभु की बुद्धि को किसने जाना? या उसका मंत्री कौन हुआ? या किसने पहले उसे कुछ दिया है जिसका बदला उसे दिया जाए?” क्योंकि उसी की ओर से, और उसी के द्वारा, और उसी के लिये सब कुछ है। उसकी महिमा युगानुयुग होती रहे : आमीन।

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