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भजन संहिता 63

63
प्यासा मन परमेश्‍वर में तृप्‍त
दाऊद का भजन, जब वह यहूदा के जंगल में था#1 शमू 23:14
1हे परमेश्‍वर, तू मेरा परमेश्‍वर है,
मैं तुझे यत्न से ढूँढ़ूँगा;
सूखी और निर्जल ऊसर#63:1 मूल में, थकी भूमि पर,
मेरा मन तेरा प्यासा है, मेरा शरीर तेरा
अति अभिलाषी है।
2इस प्रकार से मैं ने पवित्रस्थान में तुझ पर
दृष्‍टि की,
कि तेरी सामर्थ्य और महिमा को देखूँ।
3क्योंकि तेरी करुणा जीवन से भी उत्तम है,
मैं तेरी प्रशंसा करूँगा।
4इसी प्रकार मैं जीवन भर तुझे धन्य
कहता रहूँगा;
और तेरा नाम लेकर अपने हाथ उठाऊँगा।
5मेरा जीव मानो चर्बी और चिकने भोजन
से तृप्‍त होगा,
और मैं जयजयकार करके तेरी स्तुति करूँगा।
6जब मैं बिछौने पर पड़ा तेरा स्मरण करूँगा,
तब रात के एक एक पहर में तुझ पर
ध्यान करूँगा;
7क्योंकि तू मेरा सहायक बना है,
इसलिये मैं तेरे पंखों की छाया में
जयजयकार करूँगा।
8मेरा मन तेरे पीछे पीछे लगा चलता है;
और मुझे तो तू अपने दाहिने हाथ से
थाम रखता है।
9परन्तु जो मेरे प्राण के खोजी हैं,
वे पृथ्वी के नीचे स्थानों में जा पड़ेंगे,
10वे तलवार से मारे जाएँगे,
और गीदड़ों का आहार हो जाएँगे।
11परन्तु राजा परमेश्‍वर के कारण आनन्दित होगा;
जो कोई ईश्‍वर की शपथ खाए, वह
बड़ाई करने पाएगा;
परन्तु झूठ बोलनेवालों का मुँह बन्द
किया जाएगा।

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