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भजन संहिता 111

111
भलाई के लिये परमेश्‍वर की स्तुति
1याह की स्तुति करो#111:1 मूल में, हल्‍लिलूयाह
मैं सीधे लोगों की गोष्‍ठी में
और मण्डली में भी सम्पूर्ण मन से
यहोवा का धन्यवाद करूँगा।
2यहोवा के काम बड़े हैं,
जितने उनसे प्रसन्न रहते हैं,
वे उन पर ध्यान लगाते हैं।
3उसके काम वैभवशाली और
ऐश्‍वर्यमय होते हैं,
और उसका धर्म सदा तक बना रहेगा।
4उसने अपने आश्‍चर्यकर्मों का
स्मरण कराया है;
यहोवा अनुग्रहकारी और दयावन्त है।
5उसने अपने डरवैयों को आहार दिया है;
वह अपनी वाचा को सदा तक
स्मरण रखेगा।
6उसने अपनी प्रजा को जाति जाति का भाग
देने के लिये,
अपने कामों का प्रताप दिखाया है।
7सच्‍चाई और न्याय उसके हाथों के काम हैं;
उसके सब उपदेश विश्‍वासयोग्य हैं,
8वे सदा सर्वदा अटल रहेंगे,
वे सच्‍चाई और सिधाई से किए हुए हैं।
9उसने अपनी प्रजा का उद्धार किया है;
उसने अपनी वाचा को सदा के लिये
ठहराया है।
उसका नाम पवित्र और भययोग्य है।
10बुद्धि का मूल यहोवा का भय है;#अय्यू 28:28; नीति 1:7; 9:10
जितने उसकी आज्ञाओं को मानते हैं,
उनकी बुद्धि अच्छी होती है।
उसकी स्तुति सदा बनी रहेगी।

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