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नीतिवचन 21:21-31

नीतिवचन 21:21-31 HINOVBSI

जो धर्म और कृपा का पीछा करता है, वह जीवन, धर्म और महिमा भी पाता है। बुद्धिमान शूरवीरों के नगर पर चढ़कर, उनके बल को जिस पर वे भरोसा करते हैं, नष्‍ट करता है। जो अपने मुँह को वश में रखता है, वह अपने प्राण को विपत्तियों से बचाता है। जो अभिमान से रोष में आकर काम करता है, उसका नाम अभिमानी, और अहंकारी ठट्ठा करनेवाला पड़ता है। आलसी अपनी लालसा ही में मर जाता है, क्योंकि उसके हाथ काम करने से इन्कार करते हैं। कोई ऐसा है, जो दिन भर लालसा ही किया करता है, परन्तु धर्मी लगातार दान करता रहता है। दुष्‍टों का बलिदान घृणित लगता है; विशेष करके जब वह महापाप के निमित्त चढ़ाता है। झूठा साक्षी नाश होता है, परन्तु जिसने जो सुना है वही कहता हुआ स्थिर रहेगा। दुष्‍ट मनुष्य कठोर मुख का होता है, और जो सीधा है वह अपनी चाल सीधी करता है। यहोवा के विरुद्ध न तो कुछ बुद्धि, और न कुछ समझ, न कोई युक्‍ति चलती है। युद्ध के दिन के लिये घोड़ा तैयार तो होता है, परन्तु जय यहोवा ही से मिलती है।

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