वहाँ पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था। उन्होंने उससे विनती करके कहा, “हमें उन सूअरों में भेज दे कि हम उनके भीतर जाएँ।” अत: उसने उन्हें आज्ञा दी और अशुद्ध आत्मा निकलकर सूअरों के भीतर पैठ गईं और झुण्ड, जो कोई दो हज़ार का था, कड़ाड़े पर से झपटकर झील में जा पड़ा और डूब मरा। उनके चरवाहों ने भागकर नगर और गाँवों में समाचार सुनाया, और जो हुआ था, लोग उसे देखने आए। यीशु के पास आकर वे उसको जिसमें दुष्टात्माएँ थीं, अर्थात् जिसमें सेना समाई थी, कपड़े पहिने और सचेत बैठे देखकर डर गए। देखनेवालों ने उसका, जिसमें दुष्टात्माएँ थीं, और सूअरों का पूरा हाल उनको कह सुनाया। तब वे उससे विनती कर के कहने लगे कि हमारी सीमा से चला जा। जब वह नाव पर चढ़ने लगा तो वह जिसमें पहले दुष्टात्माएँ थीं, उससे विनती करने लगा, “मुझे अपने साथ रहने दे।” परन्तु उसने उसे आज्ञा न दी, और उससे कहा, “अपने घर जाकर अपने लोगों को बता कि तुझ पर दया करके प्रभु ने तेरे लिये कैसे बड़े काम किए हैं।” वह जाकर दिकापुलिस में इस बात का प्रचार करने लगा कि यीशु ने मेरे लिये कैसे बड़े काम किए; और सब लोग अचम्भा करते थे।
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