मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जो कोई विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसी का है। जीवन की रोटी मैं हूँ। तुम्हारे बापदादों ने जंगल में मन्ना खाया और मर गए। यह वह रोटी है जो स्वर्ग से उतरती है ताकि मनुष्य उस में से खाए और न मरे। जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी, मैं हूँ। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा; और जो रोटी मैं जगत के जीवन के लिये दूँगा, वह मेरा मांस है।” इस पर यहूदी यह कहकर आपस में झगड़ने लगे, “यह मनुष्य कैसे हमें अपना मांस खाने को दे सकता है?” यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जब तक तुम मनुष्य के पुत्र का मांस न खाओ, और उसका लहू न पीओ, तुम में जीवन नहीं। जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है, अनन्त जीवन उसी का है; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊँगा। क्योंकि मेरा मांस वास्तव में खाने की वस्तु है, और मेरा लहू वास्तव में पीने की वस्तु है। जो मेरा मांस खाता और मेरा लहू पीता है वह मुझ में स्थिर बना रहता है, और मैं उस में। जैसा जीवते पिता ने मुझे भेजा, और मैं पिता के कारण जीवित हूँ, वैसा ही वह भी जो मुझे खाएगा मेरे कारण जीवित रहेगा। जो रोटी स्वर्ग से उतरी यही है, उस रोटी के समान नहीं जिसे बापदादों ने खाया और मर गए; जो कोई यह रोटी खाएगा, वह सर्वदा जीवित रहेगा।” ये बातें उसने कफरनहूम के एक आराधनालय में उपदेश देते समय कहीं।
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