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यूहन्ना 6:25-35

यूहन्ना 6:25-35 HINOVBSI

झील के पार जब वे उससे मिले तो कहा, “हे रब्बी, तू यहाँ कब आया?” यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं तुम से सच सच कहता हूँ, तुम मुझे इसलिये नहीं ढूँढ़ते हो कि तुम ने आश्‍चर्यकर्म देखे, परन्तु इसलिये कि तुम रोटियाँ खाकर तृप्‍त हुए। नाशवान् भोजन के लिये परिश्रम न करो, परन्तु उस भोजन के लिये जो अनन्त जीवन तक ठहरता है, जिसे मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा; क्योंकि पिता अर्थात् परमेश्‍वर ने उसी पर छाप लगाई है।” उन्होंने उससे कहा, “परमेश्‍वर के कार्य करने के लिये हम क्या करें?” यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “परमेश्‍वर का कार्य यह है कि तुम उस पर, जिसे उसने भेजा है, विश्‍वास करो।” तब उन्होंने उससे कहा, “फिर तू कौन सा चिह्न दिखाता है कि हम उसे देखकर तेरा विश्‍वास करें? तू कौन सा काम दिखाता है? हमारे बापदादों ने जंगल में मन्ना खाया; जैसा लिखा है, ‘उसने उन्हें खाने के लिये स्वर्ग से रोटी दी’।” यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि मूसा ने तुम्हें वह रोटी स्वर्ग से नहीं दी, परन्तु मेरा पिता तुम्हें सच्‍ची रोटी स्वर्ग से देता है। क्योंकि परमेश्‍वर की रोटी वही है जो स्वर्ग से उतरकर जगत को जीवन देती है।” तब उन्होंने उससे कहा, “हे प्रभु, यह रोटी हमें सर्वदा दिया कर।” यीशु ने उनसे कहा, “जीवन की रोटी मैं हूँ : जो मेरे पास आता है वह कभी भूखा न होगा, और जो मुझ पर विश्‍वास करता है वह कभी प्यासा न होगा।

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