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यिर्मयाह 1

1
यिर्मयाह
1हिल्किय्याह का पुत्र यिर्मयाह जो बिन्यामीन देश के अनातोत में रहनेवाले याजकों में से था, उसी के ये वचन हैं। 2यहोवा का वचन उसके पास आमोन के पुत्र यहूदा के राजा योशिय्याह के दिनों में उसके राज्य के तेरहवें वर्ष में पहुँचा।#2 राजा 22:3—23:27; 2 इति 34:8—35:19 3इसके बाद योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा यहोयाकीम के दिनों में,#2 राजा 23:36—24:7; 2 इति 36:5–8 और योशिय्याह के पुत्र यहूदा के राजा सिदकिय्याह के राज्य#2 राजा 24:18—25:21; 2 इति 36:11–21 के ग्यारहवें वर्ष के अन्त तक भी प्रगट होता रहा जब तक कि उसी वर्ष के पाँचवें महीने में यरूशलेम के निवासी बँधुआई में न चले गए।
यिर्मयाह का बुलाया जाना
4तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा, 5“गर्भ में रचने से पहले ही मैं ने तुझ पर चित्त लगाया, और उत्पन्न होने से पहले ही मैं ने तेरा अभिषेक किया; मैं ने तुझे जातियों का भविष्यद्वक्‍ता ठहराया।” 6तब मैं ने कहा, “हाय, प्रभु यहोवा! देख, मैं तो बोलना भी नहीं जानता, क्योंकि मैं लड़का ही हूँ।” 7परन्तु यहोवा ने मुझ से कहा, “मत कह कि मैं लड़का हूँ; क्योंकि जिस किसी के पास मैं तुझे भेजूँ वहाँ तू जाएगा, और जो कुछ मैं तुझे आज्ञा दूँ वही तू कहेगा। 8तू उनके मुख को देखकर मत डर, क्योंकि तुझे छुड़ाने के लिये मैं तेरे साथ हूँ, यहोवा की यही वाणी है।” 9तब यहोवा ने हाथ बढ़ाकर मेरे मुँह को छुआ; और यहोवा ने मुझ से कहा, “देख, मैं ने अपने वचन तेरे मुँह में डाल दिये हैं। 10सुन, मैं ने आज के दिन तुझे जातियों और राज्यों पर अधिकारी ठहराया है; उन्हें गिराने और ढा देने के लिये, नष्‍ट करने और काट डालने के लिये, या उन्हें बनाने और रोपने के लिये।”
दो दर्शन
11यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा, “हे यिर्मयाह, तुझे क्या दिखाई पड़ता है?” मैं ने कहा, “मुझे बादाम की एक टहनी दिखाई पड़ती है।” 12तब यहोवा ने मुझ से कहा, “तुझे ठीक दिखाई पड़ता है, क्योंकि मैं अपने वचन को पूरा करने के लिये जागृत#1:12 इस इब्रानी शब्द का उच्‍चारण इब्रानी के ‘बादाम’ शब्द के समान है हूँ।”
13फिर यहोवा का वचन दूसरी बार मेरे पास पहुँचा, और उसने पूछा, “तुझे क्या दिखाई पड़ता है?” मैं ने कहा, “मुझे उबलता हुआ एक हण्डा दिखाई पड़ता है जिसका मुँह उत्तर दिशा की ओर से है।” 14तब यहोवा ने मुझ से कहा, “इस देश के सब रहनेवालों पर उत्तर दिशा से विपत्ति आ पड़ेगी। 15यहोवा की यह वाणी है, मैं उत्तर दिशा के राज्यों और कुलों को बुलाऊँगा; और वे आकर यरूशलेम के फाटकों में और उसके चारों ओर की शहरपनाह, और यहूदा के और सब नगरों के सामने अपना अपना सिंहासन लगाएँगे। 16उनकी सारी बुराई के कारण मैं उन पर दण्ड की आज्ञा दूँगा; क्योंकि उन्होंने मुझे त्यागकर दूसरे देवताओं के लिये धूप जलाया और अपनी बनाई हुई वस्तुओं को दण्डवत् किया है। 17इसलिये तू अपनी कमर कसकर उठ; और जो कुछ कहने की मैं तुझे आज्ञा दूँ वही उनसे कह। तू उनके मुख को देखकर न घबराना, ऐसा न हो कि मैं तुझे उनके सामने घबरा दूँ। 18क्योंकि सुन, मैं ने आज तुझे इस सारे देश और यहूदा के राजाओं, हाकिमों, और याजकों और साधारण लोगों के विरुद्ध गढ़वाला नगर, और लोहे का खम्भा, और पीतल की शहरपनाह बनाया है। 19वे तुझ से लड़ेंगे तो सही, परन्तु तुझ पर प्रबल न होंगे, क्योंकि बचाने के लिये मैं तेरे साथ हूँ, यहोवा की यही वाणी है।”

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