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यशायाह 38

38
राजा हिजकिय्याह की बीमारी और चंगाई
(2 राजा 20:1–11; 2 इति 32:24–26)
1उन दिनों में हिजकिय्याह ऐसा रोगी हुआ कि वह मरने पर था। तब आमोस के पुत्र यशायाह नबी ने उसके पास जाकर कहा, “यहोवा यों कहता है, अपने घराने के विषय जो आज्ञा देनी हो वह दे, क्योंकि तू न बचेगा मर ही जाएगा।” 2तब हिजकिय्याह ने दीवार की ओर मुँह फेरकर यहोवा से प्रार्थना करके कहा, 3“हे यहोवा, मैं विनती करता हूँ, स्मरण कर कि मैं सच्‍चाई और खरे मन से अपने को तेरे सम्मुख जानकर#38:3 मूल में, तेरे सामने चलता आया हूँ और जो तेरी दृष्‍टि में उचित था वही करता आया हूँ।” और हिजकिय्याह बिलख बिलखकर रोने लगा। 4तब यहोवा का यह वचन यशायाह के पास पहुँचा : 5“जाकर हिजकिय्याह से कह कि तेरे मूलपुरुष दाऊद का परमेश्‍वर यहोवा यों कहता है, ‘मैं ने तेरी प्रार्थना सुनी और तेरे आँसू देखे हैं; सुन, मैं तेरी आयु पन्द्रह वर्ष और बढ़ा दूँगा। 6अश्शूर के राजा के हाथ से मैं तेरी और इस नगर की रक्षा करके बचाऊँगा।’ ”
7यहोवा अपने इस कहे हुए वचन को पूरा करेगा, 8और यहोवा की ओर से इस बात का तेरे लिये यह चिह्न होगा कि धूप की छाया जो आहाज की धूपघड़ी में ढल गई है, मैं दस अंश पीछे की ओर लौटा दूँगा।” अत: वह छाया जो दस अंश ढल चुकी थी लौट गई।
9यहूदा के राजा हिजकिय्याह का लेख जो उसने लिखा जब वह रोगी होकर चंगा हो गया था, वह यह है :
10मैं ने कहा, अपनी आयु के बीच#38:10 मूल में, मौन में ही मैं
अधोलोक के फाटकों में प्रवेश करूँगा;
क्योंकि मेरी शेष आयु हर ली गई है।
11मैं ने कहा, मैं याह को जीवितों की भूमि में
फिर न देखने पाऊँगा;
इस लोक के निवासियों को मैं फिर न देखूँगा।
12मेरा घर#38:12 या मेरी आयु चरवाहे के तम्बू के समान उठा
लिया गया है;
मैं ने जुलाहे के समान अपने जीवन को
लपेट दिया है; वह मुझे ताँत से काट लेगा;
एक ही दिन में #38:12 मूल में, दिन से रात लों तू मेरा अन्त कर डालेगा।
13मैं भोर तक अपने मन को शान्त करता रहा;
वह सिंह के समान मेरी सब हड्डियों को
तोड़ता है;
एक ही दिन में तू मेरा अन्त कर डालता है।
14मैं सूपाबेने या सारस के समान च्यूं च्यूं करता,
मैं पिण्डुक के समान विलाप करता हूँ।
मेरी आँखें ऊपर देखते देखते पथरा गई हैं।
हे यहोवा, मुझ पर अन्धेर हो रहा है;
तू मेरा सहारा हो!
15मैं क्या कहूँ? उसी ने मुझ से प्रतिज्ञा की
और पूरा भी किया है।
मैं जीवन भर कड़वाहट के साथ धीरे धीरे
चलता रहूँगा।
16हे प्रभु, इन्हीं बातों से लोग जीवित हैं, और
इन सभों से मेरी आत्मा को
जीवन मिलता है।
तू मुझे चंगा कर और मुझे जीवित रख!
17देख, शान्ति ही के लिये मुझे
बड़ी कड़वाहट मिली;
परन्तु तू ने स्‍नेह करके मुझे
विनाश के गड़हे से निकाला है,
क्योंकि मेरे सब पापों को तू ने
अपनी पीठ के पीछे फेंक दिया है।
18क्योंकि अधोलोक तेरा धन्यवाद नहीं कर
सकता, न मृत्यु तेरी स्तुति कर सकती है;
जो कबर में पड़ें वे तेरी सच्‍चाई की आशा
नहीं रख सकते।
19जीवित#38:19 मूल में, जीवता जीवता , हाँ जीवित ही तेरा धन्यवाद करता
है, जैसा मैं आज कर रहा हूँ;
पिता तेरी सच्‍चाई का समाचार
पुत्रों को देता है।
20यहोवा मेरा उद्धार करेगा,
इसलिये हम जीवन भर यहोवा के भवन में
तारवाले बाजों पर अपने#38:20 मूल में, मेरे रचे हुए गीत
गाते रहेंगे।
21यशायाह ने कहा था, “अंजीरों की एक टिकिया बनाकर हिजकिय्याह के फोड़े पर बाँधी जाए, तब वह बचेगा।” 22हिजकिय्याह ने पूछा था, “इसका क्या चिह्न है कि मैं यहोवा के भवन को फिर जाने पाऊँगा?”

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