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यहेजकेल 28:1-10

यहेजकेल 28:1-10 HINOVBSI

यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा: “हे मनुष्य के सन्तान, सोर के प्रधान से कह, परमेश्‍वर यहोवा यों कहता है : तू ने मन में फूलकर यह कहा है, ‘मैं ईश्‍वर हूँ, मैं समुद्र के बीच परमेश्‍वर के आसन पर बैठा हूँ,’ परन्तु, यद्यपि तू अपने आपको परमेश्‍वर–सा दिखाता है, तौभी तू ईश्‍वर नहीं, मनुष्य ही है। तू दानिय्येल से अधिक बुद्धिमान तो है; कोई भेद तुझ से छिपा न होगा; तू ने अपनी बुद्धि और समझ के द्वारा धन प्राप्‍त किया, और अपने भण्डारों में सोना–चाँदी रखा है; तू ने बड़ी बुद्धि से लेन–देन किया जिस से तेरा धन बढ़ा, और धन के कारण तेरा मन फूल उठा है। इस कारण परमेश्‍वर यहोवा यों कहता है : तू जो अपना मन परमेश्‍वर–सा दिखाता है, इसलिये देख, मैं तुझ पर ऐसे परदेशियों से चढ़ाई कराऊँगा, जो सब जातियों से अधिक क्रूर हैं, वे अपनी तलवारें तेरी बुद्धि की शोभा पर चलाएँगे और तेरी चमक–दमक को बिगाड़ेंगे। वे तुझे कबर में उतारेंगे, और तू समुद्र के बीच के मारे हुओं की रीति पर मर जाएगा। तब, क्या तू अपने घात करनेवाले के सामने कहता रहेगा, ‘मैं परमेश्‍वर हूँ’? तू अपने घायल करनेवाले के हाथ में ईश्‍वर नहीं, मनुष्य ही ठहरेगा। तू परदेशियों के हाथ से खतनाहीन लोगों के समान मारा जाएगा; क्योंकि मैं ही ने ऐसा कहा है, परमेश्‍वर यहोवा की यह वाणी है।”

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