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यहेजकेल 26

26
सोर के विरुद्ध भविष्यद्वाणी
1 # यशा 23:1–18; योए 3:4–8; आमो 1:9,10; जक 9:1–4; मत्ती 11:21,22; लूका 10:13,14 ग्यारहवें वर्ष के पहिले महीने के पहले दिन को यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा : 2“हे मनुष्य के सन्तान, सोर ने जो यरूशलेम के विषय में कहा है, ‘अहा, अहा! जो देश देश के लोगों के फाटक के समान थी, वह नष्‍ट हो गई! उसके उजड़ जाने से मैं भरपूर हो जाऊँगा।’ 3इस कारण परमेश्‍वर यहोवा कहता है : हे सोर, देख, मैं तेरे विरुद्ध हूँ; और ऐसा करूँगा कि बहुत सी जातियाँ तेरे विरुद्ध ऐसी उठेंगी जैसे समुद्र की लहरें उठती हैं। 4वे सोर की शहरपनाह को गिराएँगी, और उसके गुम्मटों को तोड़ डालेंगी; और मैं उस पर से उसकी मिट्टी खुरचकर उसे नंगी चट्टान कर दूँगा। 5वह समुद्र के बीच का जाल फैलाने ही का स्थान हो जाएगा; क्योंकि परमेश्‍वर यहोवा की यह वाणी है, और वह जाति जाति से लुट जाएगा; 6और उसकी जो बेटियाँ मैदान में हैं, वे तलवार से मारी जाएँगी। तब वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।
7“क्योंकि परमेश्‍वर यहोवा यह कहता है : देख, मैं सोर के विरुद्ध राजाधिराज बेबीलोन के राजा नबूकदनेस्सर को घोड़ों, रथों, सवारों, बड़ी भीड़, और दल समेत उत्तर दिशा से ले आऊँगा। 8तेरी जो बेटियाँ मैदान में हों, उनको वह तलवार से मारेगा, और तेरे विरुद्ध कोट बनाएगा और दमदमा बाँधेगा; और ढाल उठाएगा। 9वह तेरी शहरपनाह के विरुद्ध युद्ध के यंत्र चलाएगा और तेरे गुम्मटों को फरसों से ढा देगा। 10उसके घोड़े इतने होंगे, कि तू उनकी धूल से ढँप जाएगा, और जब वह तेरे फाटकों में ऐसे घुसेगा जैसे लोग नाकेवाले नगर में घुसते हैं, तब तेरी शहरपनाह सवारों, छकड़ों, और रथों के शब्द से काँप उठेगी। 11वह अपने घोड़ों की टापों से तेरी सब सड़कों को रौंद डालेगा, और तेरे निवासियों को तलवार से मार डालेगा, और तेरे बल के खम्भे भूमि पर गिराए जाएँगे। 12लोग तेरा धन लूटेंगे और तेरे व्यापार की वस्तुएँ छीन लेंगे; वे तेरी शहरपनाह ढा देंगे और तेरे मनभाऊ घर तोड़ डालेंगे; तेरे पत्थर और काठ, और तेरी धूल वे जल में फेंक देंगे। 13मैं तेरे गीतों का सुरताल बन्द करूँगा, और तेरी वीणाओं की ध्वनि फिर सुनाई न देगी।#प्रका 18:22 14मैं तुझे नंगी चट्टान कर दूँगा; तू जाल फैलाने ही का स्थान हो जाएगा, और फिर बसाया न जाएगा; क्योंकि मुझ यहोवा ही ने यह कहा है, परमेश्‍वर यहोवा की यह वाणी है।
15“परमेश्‍वर यहोवा सोर से यों कहता है : तेरे गिरने के शब्द से जब घायल लोग कराहेंगे और तुझ में घात ही घात होगा, तब क्या टापू न काँप उठेंगे? 16तब समुद्रतटीय देशों के सब प्रधान लोग अपने अपने सिंहासन पर से उतरेंगे, और अपने बाग़े और बूटेदार वस्त्र उतारकर थरथराहट के वस्त्र पहिनेंगे और भूमि पर बैठकर क्षण क्षण में काँपेंगे; और तेरे कारण विस्मित रहेंगे। 17वे तेरे विषय में विलाप का गीत बनाकर तुझ से कहेंगे,
‘हाय! मल्‍लाहों की#26:17 मूल में, समुद्रों से बसाई हुई हाय!
सराही हुई नगरी जो समुद्र के बीच
निवासियों समेत सामर्थी रही
और सब टिकनेवालों की डरानेवाली
नगरी थी,
तू कैसी नाश हुई है?
18तेरे गिरने के दिन टापू काँप उठेंगे,
और तेरे जाते रहने के कारण समुद्र के
सब टापू घबरा जाएँगे।’#प्रका 18:9,10
19“क्योंकि परमेश्‍वर यहोवा यों कहता है : जब मैं तुझे निर्जन नगरों के समान उजाड़ करूँगा और तेरे ऊपर महासागर चढ़ाऊँगा, और तू गहिरे जल में डूब जाएगा, 20तब गड़हे में और गिरनेवालों के संग मैं तुझे भी प्राचीन लोगों में उतार दूँगा; और गड़हे में और गिरनेवालों के संग तुझे भी नीचे के लोक में#26:20 मूल में, निचले स्थानों के देश में रखकर प्राचीनकाल के उजड़े हुए स्थानों के समान कर दूँगा; यहाँ तक कि तू फिर न बसेगा और न जीवन के लोक में कोई स्थान पाएगा। 21मैं तुझे घबराने का कारण करूँगा, और तू भविष्य में फिर न रहेगा, वरन् ढूँढ़ने पर भी तेरा पता न लगेगा,#प्रका 18:21 परमेश्‍वर यहोवा की यही वाणी है।”

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