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प्रेरितों 7:1-21

प्रेरितों 7:1-21 HINOVBSI

तब महायाजक ने कहा, “क्या ये बातें सच हैं?” स्तिफनुस ने कहा, “हे भाइयो, और पितरो सुनो। हमारा पिता अब्राहम हारान में बसने से पहले जब मेसोपोटामिया में था; तो तेजोमय परमेश्‍वर ने उसे दर्शन दिया, और उससे कहा, ‘तू अपने देश और अपने कुटुम्ब से निकलकर उस देश में जा, जिसे मैं तुझे दिखाऊँगा।’ तब वह कसदियों के देश से निकलकर हारान में जा बसा। उसके पिता की मृत्यु के बाद परमेश्‍वर ने उसको वहाँ से इस देश में लाकर बसाया जिसमें अब तुम बसते हो, और उसको कुछ मीरास वरन् पैर रखने भर की भी उसमें जगह न दी, परन्तु प्रतिज्ञा की कि मैं यह देश तेरे और तेरे बाद तेरे वंश के हाथ कर दूँगा; यद्यपि उस समय उसके कोई पुत्र भी न था। और परमेश्‍वर ने यों कहा, ‘तेरी सन्तान के लोग पराये देश में परदेशी होंगे, और वे उन्हें दास बनाएँगे और चार सौ वर्ष तक दु:ख देंगे।’* फिर परमेश्‍वर ने कहा, ‘जिस जाति के वे दास होंगे, उसको मैं दण्ड दूँगा, और इसके बाद वे निकलकर इसी जगह मेरी सेवा करेंगे।’ और उसने उससे खतने की वाचा बाँधी; और इसी दशा में इसहाक उससे उत्पन्न हुआ और आठवें दिन उसका खतना किया गया; और इसहाक से याकूब और याकूब से बारह कुलपति उत्पन्न हुए। “कुलपतियों ने यूसुफ से डाह करके उसे मिस्र देश जानेवालों के हाथ बेचा। परन्तु परमेश्‍वर उसके साथ था, और उसे उसके सब क्लेशों से छुड़ाकर मिस्र के राजा फ़िरौन की दृष्‍टि में अनुग्रह और बुद्धि प्रदान की, और उसने उसे मिस्र पर और अपने सारे घर पर हाकिम नियुक्‍त किया। तब मिस्र और कनान के सारे देश में अकाल पड़ा; जिस से भारी क्लेश हुआ, और हमारे बापदादों को अन्न नहीं मिलता था। परन्तु याकूब ने यह सुनकर कि मिस्र में अनाज है, हमारे बापदादों को पहली बार भेजा। दूसरी बार यूसुफ ने स्वयं को अपने भाइयों पर प्रगट किया और यूसुफ की जाति फ़िरौन को मालूम हो गई। तब यूसुफ ने अपने पिता याकूब और अपने सारे कुटुम्ब को, जो पचहत्तर व्यक्‍ति थे, बुला भेजा। तब याकूब मिस्र में गया; और वहाँ वह और हमारे बापदादे मर गए। उनके शव शकेम में पहुँचाए जाकर उस कब्र में रखे गए, जिसे अब्राहम ने चाँदी देकर शकेम में हमोर की सन्तान से मोल लिया था। “परन्तु जब उस प्रतिज्ञा के पूरे होने का समय निकट आया जो परमेश्‍वर ने अब्राहम से की थी, तो मिस्र में वे लोग बढ़ गए और बहुत हो गए। तब मिस्र में दूसरा राजा हुआ जो यूसुफ को नहीं जानता था। उसने हमारी जाति से चालाकी करके हमारे बापदादों के साथ यहाँ तक बुरा व्यवहार किया, कि उन्हें अपने बालकों को फेंक देना पड़ा कि वे जीवित न रहें। उस समय मूसा उत्पन्न हुआ। वह परमेश्‍वर की दृष्‍टि में बहुत ही सुन्दर था। वह तीन महीने तक अपने पिता के घर में पाला गया। जब फेंक दिया गया तो फ़िरौन की बेटी ने उसे उठा लिया, और अपना पुत्र करके पाला।

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