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1 शमूएल 10

10
1तब शमूएल ने एक कुप्पी तेल लेकर उसके सिर पर उंडेला, और उसे चूमकर कहा, “क्या इसका कारण यह नहीं कि यहोवा ने अपने निज भाग के ऊपर प्रधान होने को तेरा अभिषेक किया है? 2आज जब तू मेरे पास से चला जाएगा, तब राहेल की कब्र के पास जो बिन्यामीन के देश की सीमा पर सेलसह में है, दो जन तुझे मिलेंगे और कहेंगे, ‘जिन गदहियों को तू ढूँढ़ने गया था वे मिल गई हैं; और सुन, तेरा पिता गदहियों की चिन्ता छोड़कर तुम्हारे कारण कुढ़ता हुआ कहता है कि मैं अपने पुत्र के लिये क्या करूँ?’ 3फिर वहाँ से आगे बढ़कर जब तू ताबोर के बांजवृक्ष के पास पहुँचेगा, तब वहाँ तीन जन परमेश्‍वर के पास बेतेल को जाते हुए तुझे मिलेंगे, जिन में से एक तो बकरी के तीन बच्‍चे, और दूसरा तीन रोटी, और तीसरा एक कुप्पा दाखमधु लिए हुए होगा। 4वे तेरा कुशल पूछेंगे, और तुझे दो रोटी देंगे, और तू उन्हें उनके हाथ से ले लेना। 5तब तू परमेश्‍वर के पहाड़ पर पहुँचेगा#10:5 या तू परमेश्‍वर की पहाड़ी को पहुँचेगा जहाँ पलिश्तियों की चौकी है; और जब तू वहाँ नगर में प्रवेश करे, तब नबियों का एक दल ऊँचे स्थान से उतरता हुआ तुझे मिलेगा; और उनके आगे सितार, डफ, बाँसुली, और वीणा होंगे; और वे नबूवत करते होंगे। 6तब यहोवा का आत्मा तुझ पर बल से उतरेगा, और तू उनके साथ होकर नबूवत करने लगेगा, और तू परिवर्तित होकर और ही मनुष्य हो जाएगा। 7और जब ये चिह्न तुझे दिखाई पड़ेंगे, तब जो काम करने का अवसर तुझे मिले उसमें लग जाना; क्योंकि परमेश्‍वर तेरे संग रहेगा। 8और तू मुझ से पहले गिलगाल को जाना; और मैं होमबलि और मेलबलि चढ़ाने के लिये तेरे पास आऊँगा। तू सात दिन तक मेरी बाट जोहते रहना, तब मैं तेरे पास पहुँचकर तुझे बताऊँगा कि तुझ को क्या क्या करना है।”
9ज्योंही उसने शमूएल के पास से जाने को पीठ फेरी त्योंही परमेश्‍वर ने उसके मन को परिवर्तित किया; और वे सब चिह्न उसी दिन प्रगट हुए। 10जब वे उधर उस पहाड़ के पास#10:10 या पहाड़ी आए, तब नबियों का एक दल उसको मिला; और परमेश्‍वर का आत्मा उस पर बल से उतरा, और वह उनके बीच में नबूवत करने लगा। 11जब उन सभों ने जो उसे पहले से जानते थे यह देखा कि वह नबियों के बीच में नबूवत कर रहा है, तब आपस में कहने लगे, “कीश के पुत्र को यह क्या हुआ? क्या शाऊल भी नबियों में का है?” 12वहाँ के एक मनुष्य ने उत्तर दिया, “भला, उनका बाप कौन है?” इस पर यह कहावत चलने लगी, “क्या शाऊल भी नबियों में का है?”#1 शमू 19:23,24 13जब वह नबूवत कर चुका, तब ऊँचे स्थान पर चढ़ गया।
14तब शाऊल के चाचा ने उससे और उसके सेवक से पूछा, “तुम कहाँ गए थे?” उसने कहा, “हम तो गदहियों को ढूँढ़ने गए थे; और जब हम ने देखा कि वे कहीं नहीं मिलतीं, तब शमूएल के पास गए।” 15शाऊल के चाचा ने कहा, “मुझे बतला कि शमूएल ने तुम से क्या कहा।” 16शाऊल ने अपने चाचा से कहा, “उसने हमें निश्‍चय करके बताया कि गदहियाँ मिल गईं।” परन्तु जो बात शमूएल ने राज्य के विषय में कही थी वह उसने उसको न बताई।
राजा के रूप में शाऊल का अभिनन्दन
17तब शमूएल ने प्रजा के लोगों को मिस्पा में यहोवा के पास बुलवाया; 18तब उसने इस्राएलियों से कहा, “इस्राएल का परमेश्‍वर यहोवा यों कहता है, ‘मैं तो इस्राएल को मिस्र देश से निकाल लाया, और तुम को मिस्रियों के हाथ से, और उन सब राज्यों के हाथ से जो तुम पर अन्धेर करते थे छुड़ाया है।’ 19परन्तु तुम ने आज अपने परमेश्‍वर को जो सब विपत्तियों और कष्‍टों से तुम्हारा छुड़ानेवाला है तुच्छ जाना; और उससे कहा है ‘हम पर राजा नियुक्‍त कर दे।’ इसलिये अब तुम गोत्र गोत्र और हज़ार हज़ार करके यहोवा के सामने खड़े हो जाओ।”
20तब शमूएल सारे इस्राएली गोत्रों को समीप लाया, और चिट्ठी बिन्यामीन के नाम पर निकली#10:20 मूल में, बिन्यामीन का गोत्र लिया गया 21तब वह बिन्यामीन के गोत्र को कुल कुल करके समीप लाया, और चिट्ठी मत्री के कुल के नाम पर निकली#10:21 मूल में, मत्री का कुल लिया गया ; फिर चिट्ठी कीश के पुत्र शाऊल के नाम पर निकली#10:21 मूल में, कीश का पुत्र शाऊल लिया गया । और जब वह ढूँढ़ा गया, तब न मिला। 22तब उन्होंने फिर यहोवा से पूछा, “क्या यहाँ कोई और आनेवाला है?” यहोवा ने कहा, “सुनो, वह सामान के बीच में छिपा हुआ है।” 23तब वे दौड़कर उसे वहाँ से लाए; और वह लोगों के बीच में खड़ा हुआ, और वह कंधे से सिर तक#10:23 मूल में, ऊपर सब लोगों से लम्बा#10:23 मूल में, सब लोग उसके कंधे तक थे था। 24शमूएल ने सब लोगों से कहा, “क्या तुम ने यहोवा के चुने हुए को देखा है कि सारे लोगों में कोई उसके बराबर नहीं?” तब सब लोग ललकार के बोल उठे, “राजा चिरंजीव रहे।”
25तब शमूएल ने लोगों से राजनीति का वर्णन किया, और उसे पुस्तक में लिखकर यहोवा के आगे रख दिया। फिर शमूएल ने सब लोगों को अपने अपने घर जाने को विदा किया। 26और शाऊल गिबा को अपने घर चला गया, और उसके साथ एक दल भी गया जिनके मन को परमेश्‍वर ने उभारा था। 27परन्तु कई लुच्‍चे लोगों ने कहा, “यह जन हमारा क्या उद्धार करेगा?” और उन्होंने उसको तुच्छ जाना, और उसके पास भेंट न लाए। तौभी वह सुनी अनसुनी करके चुप रहा#10:27 मूल में, वह बहिरा–सा हो गया

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