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भजन संहिता 42:11

भजन संहिता 42:11 HINCLBSI

ओ मेरे प्राण, तू क्‍यों व्‍याकुल है? क्‍यों तू हृदय में अशांत है? ओ मेरे प्राण, तू परमेश्‍वर की आशा कर; मैं अपने उद्धार को, अपने परमेश्‍वर को पुन: सराहूँगा।

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