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शोक-गीत 1:20

शोक-गीत 1:20 HINCLBSI

‘हे प्रभु, देख; क्‍योंकि मैं संकट में हूं। मेरी अंतड़ियाँ ऐंठ रही हैं। मेरा हृदय व्‍याकुल हो उठा है; क्‍योंकि मैंने तेरे वचन से बहुत विद्रोह किया है। घर के बाहर तलवार से मैं निर्वंश होती हूं, और घर के भीतर मृत्‍यु विराज रही है।

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