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योहन 3:17-18

योहन 3:17-18 HINCLBSI

परमेश्‍वर ने अपने पुत्र को संसार में इसलिए नहीं भेजा कि वह संसार को दोषी ठहराए। उसने उसे इसलिए भेजा है, कि संसार उसके द्वारा मुक्‍ति प्राप्‍त करे। “जो पुत्र में विश्‍वास करता है, वह दोषी नहीं ठहराया जाता है। जो विश्‍वास नहीं करता, वह दोषी ठहराया जा चुका है; क्‍योंकि वह परमेश्‍वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्‍वास नहीं करता।

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योहन 3:17-18 - परमेश्‍वर ने अपने पुत्र को संसार में इसलिए नहीं भेजा कि वह संसार को दोषी ठहराए। उसने उसे इसलिए भेजा है, कि संसार उसके द्वारा मुक्‍ति प्राप्‍त करे।
“जो पुत्र में विश्‍वास करता है, वह दोषी नहीं ठहराया जाता है। जो विश्‍वास नहीं करता, वह दोषी ठहराया जा चुका है; क्‍योंकि वह परमेश्‍वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्‍वास नहीं करता।योहन 3:17-18 - परमेश्‍वर ने अपने पुत्र को संसार में इसलिए नहीं भेजा कि वह संसार को दोषी ठहराए। उसने उसे इसलिए भेजा है, कि संसार उसके द्वारा मुक्‍ति प्राप्‍त करे।
“जो पुत्र में विश्‍वास करता है, वह दोषी नहीं ठहराया जाता है। जो विश्‍वास नहीं करता, वह दोषी ठहराया जा चुका है; क्‍योंकि वह परमेश्‍वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्‍वास नहीं करता।योहन 3:17-18 - परमेश्‍वर ने अपने पुत्र को संसार में इसलिए नहीं भेजा कि वह संसार को दोषी ठहराए। उसने उसे इसलिए भेजा है, कि संसार उसके द्वारा मुक्‍ति प्राप्‍त करे।
“जो पुत्र में विश्‍वास करता है, वह दोषी नहीं ठहराया जाता है। जो विश्‍वास नहीं करता, वह दोषी ठहराया जा चुका है; क्‍योंकि वह परमेश्‍वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्‍वास नहीं करता।योहन 3:17-18 - परमेश्‍वर ने अपने पुत्र को संसार में इसलिए नहीं भेजा कि वह संसार को दोषी ठहराए। उसने उसे इसलिए भेजा है, कि संसार उसके द्वारा मुक्‍ति प्राप्‍त करे।
“जो पुत्र में विश्‍वास करता है, वह दोषी नहीं ठहराया जाता है। जो विश्‍वास नहीं करता, वह दोषी ठहराया जा चुका है; क्‍योंकि वह परमेश्‍वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्‍वास नहीं करता।

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