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1 कुरिंथियों 15:58
किताब-ए मुक़द्दस
ग़रज़, मेरे प्यारे भाइयो, मज़बूत बने रहें। कोई चीज़ आपको डाँवाँडोल न कर दे। हमेशा ख़ुदावंद की ख़िदमत जाँफ़िशानी से करें, यह जानते हुए कि ख़ुदावंद के लिए आपकी मेहनत-मशक़्क़त रायगाँ नहीं जाएगी।
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1 कुरिंथियों 15:57
लेकिन ख़ुदा का शुक्र है जो हमें हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह के वसीले से फ़तह बख़्शता है।
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1 कुरिंथियों 15:33
फ़रेब न खाएँ, बुरी सोहबत अच्छी आदतों को बिगाड़ देती है।
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1 कुरिंथियों 15:10
लेकिन मैं जो कुछ हूँ अल्लाह के फ़ज़ल ही से हूँ। और जो फ़ज़ल उसने मुझ पर किया वह बेअसर न रहा, क्योंकि मैंने उन सबसे ज़्यादा जाँफ़िशानी से काम किया है। अलबत्ता यह काम मैंने ख़ुद नहीं बल्कि अल्लाह के फ़ज़ल ने किया है जो मेरे साथ था।
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1 कुरिंथियों 15:55-56
ऐ मौत, तेरी फ़तह कहाँ रही? ऐ मौत, तेरा डंक कहाँ रहा?” मौत का डंक गुनाह है और गुनाह शरीअत से तक़वियत पाता है।
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1 कुरिंथियों 15:51-52
देखो मैं आपको एक भेद बताता हूँ। हम सब वफ़ात नहीं पाएँगे, लेकिन सब ही बदल जाएंगे। और यह अचानक, आँख झपकते में, आख़िरी बिगुल बजते ही रूनुमा होगा। क्योंकि बिगुल बजने पर मुरदे लाफ़ानी हालत में जी उठेंगे और हम बदल जाएंगे।
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1 कुरिंथियों 15:21-22
चूँकि इनसान के वसीले से मौत आई, इसलिए इनसान ही के वसीले से मुरदों के जी उठने की भी राह खुली। जिस तरह सब इसलिए मरते हैं कि वह आदम के फ़रज़ंद हैं उसी तरह सब ज़िंदा किए जाएंगे जो मसीह के हैं।
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1 कुरिंथियों 15:53
क्योंकि लाज़िम है कि यह फ़ानी जिस्म बक़ा का लिबास पहन ले और मरनेवाला जिस्म अबदी ज़िंदगी का।
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1 कुरिंथियों 15:25-26
क्योंकि लाज़िम है कि मसीह उस वक़्त तक हुकूमत करे जब तक अल्लाह तमाम दुश्मनों को उसके पाँवों के नीचे न कर दे। आख़िरी दुश्मन जिसे नेस्त किया जाएगा मौत होगी।
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