“जे थौरे मे ऊं कोई गढ़ बणाणौ चावै तो कांई वो पैला बैठनै उणरै कीमत रौ, ओ देखणै रै लियै की उणै पूरौ करनै रै वास्तै उणरै खनै गुंजाइस है या कोनीं, हिसाब किताब कोनीं लगावैला? नीं तो वो नींव तो भर दैला अर उणै पूरौ नीं कर पाणै ऊं, जिणौ उणनै सरू करते देख्यां, वे सगळा उणरी मसकरी करैला अर कैवैला, ‘अर देखौ इण मिनख बणाणौ तो सरू कियो, पण ओ उणनै पूरौ नीं कर सकयौ।’