हरैक पेहलवान सगळै तरैह रौ संयम करै है। वो तो एक मुरझाणै वाळै मुगट नै हासल करणै रै लियै ओ सगळौ करै है, पण म्हौ तो उण मुगट रै लियै करौ हो जिकौ कदैई मुरझावै कोनीं। म्हैं बिना मकसद रै मिनख रै ज्यूं कोनीं दौड़तो। म्हैं भी इणीज रीति ऊं मुक्कों ऊं लड़ रियौ हूं, पण उणरै ज्यूं कोनीं जिकौ हवा पीटतो होयौ लड़ै है।