हाँव आप्णें लोगों, अरह् गऐर-यहूदियों शी भे तेरी रंक्षा करूबा; जिन कैई मुँऐ ताँव डेयाल़ी लुवा। हाँव तिनकी आखी खोल्णों खे, तिनू ईनाँरे शे ज्योत्ति की ढंबै फ़ेर्णो खे; मतल्व शैतान की शक्त्ति शे दुर्के करियों; पंण्मिश्वर की ढबै कर्णो खे, ताँव तिन कैई डेयाल़ूबा; जिन्दें लंई से मुँदा बिश्वाष कर्णो के कारण आप्णें पापों की माफी पाँव, अरह् पबित्र करे अंदे भगत्तों आरी से भे मीरास पाँव।’