जैष्णी के ऐकी खे पबित्र-आत्त्मा के जाँणें बुद्धी की बातो देंई, अरह् ओकी खे तियों ही पबित्र-आत्त्मा के जाँणें ज्ञाँन की बातो देई ज़ाँव। कोसी खे तियों ही पबित्र-आत्त्मा के जाँणें बिश्वाष, अरह् कोसी खे चंगाऐ कर्णो का बर्दांन दिया ज़ाँव। तबे भे कोसी खे शक्त्ति की काँम-काज़ कर्णो के शक्त्ति देंई, अरह् कोसी खे बरंम्बाणीं कर्णो का दाँण, अरह् कोसी खे आत्त्मों की परख-पछयाँण कर्णो का बर्दांण, अरह् कोसी खे साँत-भाँती अंण-जाँण भाषा, अरह् कोसी खे तिनू साँत-भाँती अंण-जाँण भाषा सम्झाँणों का बर्दांण दिया ज़ाँव।