देह की बुरी मरजी तो परकट हे जस्यान के, कुकरम, हुगलोपणो, भोग-विलास, मूरताँ ने पुजणी, जादु-मन्तर, बेर, लड़ायाँ, घरणा, गुस्सो, बुरी नजर, एक दूजाँ की खोट्याँ खाणी, मेपणो, नसो करणो, मन मरजी करणी, हूँगला काम अन ओरी कई काम हे। जणी काँ बारा में पेल्याँई थाँने क्यो हो के, अस्या काम करबावाळा परमेसर के राज का वारिस ने वेई।