ओ ध्यान राको, आकरी का दनाँ में आपणाँ पे घणो अबको टेम आई। काँके मनक मतलबी, लोबी, मेपणा करबावाळा, फाकलेट अन बेजत करबावाळा, आपणाँ बई-बापू को क्यो ने करबावाळा, दया ने करबावाळा, अधरमी वेई। वाँका हरदा में ने तो परेम-भाव, ने दया-धरम वेई, वीं दूजाँ की बुरई करबावाळा, लड़ई करबावाळा, कल्डा मन का अन भलईऊँ दसमणी राकबावाळा वेई। वीं धोको देबावाळा, बेपरवा, मरोड़ में रेबावाळा, परमेसर की परेमी वेबा का बजाय मोज-मस्तीऊँ परेम करबावाळा वेई। वीं धरमीपणा को दिकावो तो करी, पण परमेसर की तागत ने ने मानी। अस्यान हिकबावाळा मनकाँऊँ खुद ने छेटी राक।