कुई ने नट सके के, आपणाँ धरम को भेद कस्यो मोटा हे,
वो ज्यो मनक का रूप में परगट व्यो,
पुवितर आत्मा जिंने धरमी बतायो,
अन हरग-दुत जिंने देक्यो,
देसा देसा में वींको परच्यार करियो ग्यो,
दनियाँ में वींपे विस्वास करियो ग्यो,
अन मेमावान हरग में उठा लिदो ग्यो।