थाँ ध्यान देन हुणो मूँ थाँने एक भेद की बात बताऊँ हूँ के, आपाँ हाराई मरा कोयने, पण आपणो रूप बदल्यो जाई। जद्याँ आकरी रणभेरी बजाई जाई वीं दाण आँक झपकाताँ तईं एकीस दाण में अस्यान वे जाई। जद्याँ रणभेरी बजाई जाई तो मरिया तका जीवता वेन अमर वे जाई अन आपाँ ज्यो जीवता हाँ बदल्या जावा।