अब देखो! आपणी काया का पापी कामा न्अ तो सबळा जाण्अ छ। वे ये छ, वेभीचार, अपवितरता, भोग-बिलास, मूर्ति पुजबो, जादू-टोणा, बेरभाव, लड़ाई-झगड़ा, बळ्यामरबो, रोष, मतलबी, फूट, अधर्म, मन मं रोष, नसो, रंगरेळ्या अर अस्यान की ई ओर बाता बी म थान्अ बतायो छो। अब म थान्अ या बाता का बारा मं चतार्यो छु क ज्यो मनख अस्यान की बाता मं लार रेवला, वे परमेसर का राज को वारिस कोन होव्अला।