आपा मूरत्या क आग्अ चढ़ाया प्रसाद का बारा मं जाणा छा “क्युं क आपा सबळा ज्ञानी छा।” अर ज्ञान मनखा न्अ घमण्ड सुं भर देव्अ छ। पण परेम सुं सबळा को फायदो होव्अ छ। अर ज्यो कोई समझ्अ क वो कोई-कांई जाण्अ छ अर जिका बारा मं उन्अ जाणनी चायजे उंका बारा मं कोन जाण्अ।