हे पुरोहितमन, बोरा के कपड़ा पहिरके बिलाप करव;
तुमन जऊन मन बेदी करा सेवा करथव, बिलाप करव।
तुमन जऊन मन मोर परमेसर के आघू म सेवा करथव
आवव, अऊ बोरा के कपड़ा पहिरके रथिया बितावव;
काबरकि तुम्हर परमेसर के घर म
अन्न-बलिदान अऊ पेय-बलिदान चघाय बर बंद कर दिये गे हवय।