पर जतेक ईंटा ओमन पहिली बनात रिहिन, ओतकेच ईंटा अब भी बनवाव; ईंटा के ठहिराय गनती म कमी झन करव, ओमन आलसी अंय; एकरसेति ओमन चिचियाके कहत हवंय, ‘आवव, हमन जावन अऊ हमर परमेसर बर बलिदान चघावन।’ ओ मनखेमन के काम ला अऊ बढ़ा दव ताकि ओमन काम म ही लगे रहंय, अऊ लबारी गोठमन म धियान झन लगावंय।”