पर तेंह अपनआप ला स्वरग के परभू ले घलो बड़े बना ले हवस। ओकर मंदिर ले लाने गय पियालामन ला तेंह अपन करा मंगा ले हवस, अऊ तें अऊ तोर परभावसाली मनखेमन, तोर घरवाली अऊ तोर रखैलमन ओमा मंद पीये हव। तेंह चांदी अऊ सोन, कांसा, लोहा, लकड़ी अऊ पथरा के देवतामन के महिमा करे हस, जेमन न तो देख सकंय, न सुन सकंय, अऊ न ही समझ सकंय। पर तेंह ओ परमेसर के आदर नइं करे, जेकर हांथ म तोर जिनगी अऊ तोर जम्मो काम-धाम हवय।