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मत्ती 19

19
1अपना यह उपदेश समाप्‍त कर येशु गलील प्रदेश से चले गये#मक 10:1-12 और यर्दन नदी के पार यहूदा प्रदेश के सीमा-क्षेत्र में आए।#मत 7:28; 11:1; 13:53; 26:1 2एक विशाल जनसमूह उनके पीछे हो लिया और येशु ने वहाँ लोगों को स्‍वस्‍थ किया।
विवाह का बन्‍धन
3कुछ फरीसी येशु के पास आए और उनकी परीक्षा लेने के उद्देश्‍य से बोले, “क्‍या किसी भी कारण से अपनी पत्‍नी का परित्‍याग करना उचित है?”#मत 5:31-32 4येशु ने उत्तर दिया, “क्‍या तुम लोगों ने धर्मग्रन्‍थ में यह नहीं पढ़ा कि सृष्‍टिकर्ता ने प्रारम्‍भ ही से उन्‍हें नर और नारी बनाया#उत 1:27 5और कहा कि ‘इस कारण पुरुष अपने माता-पिता को छोड़ेगा और अपनी पत्‍नी के साथ रहेगा, और वे दोनों एक शरीर होंगे’?#उत 2:24; इफ 5:31 6इस प्रकार अब वे दो नहीं, बल्‍कि एक शरीर हैं। इसलिए जिसे परमेश्‍वर ने जोड़ा है, उसे मनुष्‍य अलग नहीं करे।”#1 कुर 7:10-11
7उन्‍होंने येशु से कहा, “तब मूसा ने पत्‍नी का परित्‍याग करते समय त्‍यागपत्र देने का आदेश क्‍यों दिया?”#व्‍य 24:1
8येशु ने उत्तर दिया, “मूसा ने तुम्‍हारे हृदय की कठोरता के कारण ही तुम्‍हें पत्‍नी का परित्‍याग करने की अनुमति दी थी; किन्‍तु प्रारम्‍भ से ऐसा नहीं था। 9मैं तुम लोगों से कहता हूँ कि व्‍यभिचार#19:9 अथवा, ‘अवैध सम्‍बन्‍ध’ के अतिरिक्‍त किसी अन्‍य कारण से जो पति अपनी पत्‍नी का परित्‍याग करता और किसी दूसरी स्‍त्री से विवाह करता है, वह व्‍यभिचार करता है।”#लू 16:18
10शिष्‍यों ने येशु से कहा, “यदि पति और पत्‍नी का सम्‍बन्‍ध ऐसा है, तो विवाह नहीं करना ही अच्‍छा है।” 11येशु ने उनसे कहा, “सब इस शिक्षा को ग्रहण नहीं कर सकते। केवल वे ही ग्रहण कर सकते हैं जिन्‍हें यह वरदान मिला है;#1 कुर 7:7,17 12क्‍योंकि कुछ लोग माता के गर्भ से ही नपुंसक उत्‍पन्न हुए हैं, कुछ लोगों को मनुष्‍यों ने नपुंसक बना दिया है। किन्‍तु कुछ लोगों ने स्‍वर्गराज्‍य के निमित्त अपने आप को नपुंसक बना दिया है। जो यह शिक्षा ग्रहण कर सकता है, वह ग्रहण कर ले।”
बच्‍चों को आशीर्वाद
13उस समय लोग येशु के पास बच्‍चों को लाए, जिससे वह उन पर हाथ रखें और प्रार्थना करें।#मक 10:13-16; लू 18:15-17 परन्‍तु शिष्‍यों ने लोगों को डाँटा। 14येशु ने कहा, “बच्‍चों को आने दो और उन्‍हें मेरे पास आने से मत रोको, क्‍योंकि स्‍वर्ग का राज्‍य उन-जैसे लोगों का ही है।”#मत 18:2-3 15और वह बच्‍चों के सिर पर हाथ रखकर वहाँ से चले गये।
धन-सम्‍पत्ति या शाश्‍वत जीवन
16एक व्यक्‍ति येशु के पास आ कर बोला, “गुरुवर! शाश्‍वत जीवन प्राप्‍त करने के लिए मैं कौन-सा भला कार्य करूँ?”#मक 10:17-31; लू 18:18-30 17येशु ने उत्तर दिया, “भलाई के विषय में मुझ से क्‍यों पूछते हो? एक ही तो भला है। यदि तुम जीवन में प्रवेश करना चाहते हो, तो आज्ञाओं का पालन करो।”#लू 10:26-28 18उसने पूछा, “कौन-सी आज्ञाएँ?” येशु ने कहा, “हत्‍या मत करो; व्‍यभिचार मत करो; चोरी मत करो; झूठी गवाही मत दो;#नि 20:12-16; व्‍य 5:17-20 19अपने माता-पिता का आदर करो; और अपने पड़ोसी को अपने समान प्‍यार करो।”#नि 20:12; लेव 19:18; व्‍य 5:16 20नवयुवक ने उनसे कहा, “मैंने इन सब का पालन किया है। मुझ में किस बात की कमी है?” 21येशु ने उसे उत्तर दिया, “यदि तुम पूर्ण होना चाहते हो, तो जाओ, अपनी सम्‍पत्ति बेच कर गरीबों को दे दो और स्‍वर्ग में तुम्‍हारा धन होगा। तब आ कर मेरा अनुसरण करो।”#लू 12:33; मत 6:20 22यह बात सुनकर वह नवयुवक उदास होकर चला गया, क्‍योंकि उसके पास बहुत धन-सम्‍पत्ति थी।#भज 62:10
धन के कारण बाधा
23तब येशु ने अपने शिष्‍यों से कहा, “मैं तुम लोगों से सच कहता हूँ : धनवान के लिए स्‍वर्ग के राज्‍य में प्रवेश करना कठिन है। 24मैं तुम से फिर कहता हूँ कि परमेश्‍वर के राज्‍य में धनवान के प्रवेश करने की अपेक्षा सूई के छेद से हो कर ऊंट का निकलना अधिक सरल है।” 25यह सुन कर शिष्‍य बहुत अधिक विस्‍मित हो गये और बोले, “तो फिर किसका उद्धार हो सकता है?” 26येशु ने उन्‍हें एकटक देखा और कहा, “मनुष्‍यों के लिए तो यह असम्‍भव है; किन्‍तु परमेश्‍वर के लिए सब कुछ सम्‍भव है।”#उत 18:14; अय्‍य 42:2; जक 8:6
स्‍वैच्‍छिक निर्धनता
27इस पर पतरस ने येशु से कहा, “देखिए, हम लोग अपना सब कुछ छोड़ कर आपके अनुयायी बन गये हैं। तो, हमें क्‍या मिलेगा?” 28येशु ने अपने शिष्‍यों से कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, नई सृष्‍टि में जब मानव-पुत्र अपने महिमामय सिंहासन पर विराजमान होगा, तब तुम जिन्‍होंने मेरा अनुसरण किया है, बारह सिंहासनों पर बैठ कर इस्राएल के बारह कुलों का न्‍याय करोगे।#लू 22:30; दान 7:9-10 29और जिस किसी ने मेरे नाम के लिए घरबार, भाइयों, बहिनों, पिता, माता, बाल-बच्‍चों अथवा खेतों को छोड़ दिया है, वह सौ गुना पाएगा और शाश्‍वत जीवन का अधिकारी होगा।#इब्र 10:34
30“परन्‍तु बहुत लोग जो प्रथम हैं, अंतिम हो जाएँगे; और जो अंतिम हैं, वे प्रथम हो जाएँगे।#मत 20:16; लू 13:30

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