इण वास्तै जिण दिन ऊं ओ सुण्यौ, म्हैं लगातार थौरे वास्तै पराथना कर रिया हा। म्हैं परमेसर ऊं विणती करां के, वे थांनै पवितर आतमा रौ ग्यांन अर समझ दैवै, जिण ऊं थै परमेसर री इछा नै जांण सकौ। ताकी थौरो चाल-चलण जैड़ौ परभु चावै वैड़ौ रैवै, जिण ऊं वे राजी रैवै अर थै भला कांम करता रैवौ अर परमेसर रा ग्यांन में बढ़ता जाओ।