लेंट (उपवास काल) के लिए पवित्र बाइबिल से धार्मिक पाठ : मोज़ेक नमूना

पवित्र परमेश्वर (कीथ पॉट्टर)
उपवास के इस समय के दौरान हम यीशु मसीह के उस महान बलिदान, क्षमा जिसका दाम उन्होंने अपना जीवन देकर चुकाया, को स्मरण करतें हैं। हम स्वीकार करतें हैं कि हमारे पाप, परमेश्वर के साथ हमारे संबंधों के बीच में आ गए थे।
लेकिन, हमारी स्वीकृति पतली और खोखली होगी जब तक कि हम ये न समझें कि परमेश्वर कितना महान और पवित्र है। हम पाप की गंभीरता और उसके प्रभाव को हमेशा कम आँकते हैं, जो हमें परमेश्वर से भिन्न और उनकी अच्छी संगति के अयोग्य बनाता है। अपने आप को और दूसरों को माफ़ करने की हमारी कोशिशें भी व्यर्थ तथा खोख़ली होंगी जब तक हम यह नहीं समझेंगें कि कैसे यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर का अनुग्रह हमें पूरी तरह से ढांक कर रखता है, परमेश्वर के समक्ष हमें धर्मी और उनकी अच्छी संगति के योग्य बनाता है।
इसलिए इस समय के दौरान, हम परमेश्वर की पवित्रता पर ध्यान लगाते हैं और सोचतें हैं हमारे परमेश्वर जैसे, केवल प्रेममय आशय तथा अच्छी प्रेरणाओं से भरे होना कैसा लगता है।
यशायाह ६ मे, हम देखतें हैं कि महान भविष्यवक्ता की कहानी परमेश्वर के सिंहासन, जो चारों ओर से स्वर्गदूतों से घिरा हुआ है, के बहुत विशाल दर्शन से आरम्भ होती है। दिन और रात, वे पुकारते रहतें हैं, "सेनाओं का यहोवा पवित्र, पवित्र, पवित्र है; सम्पूर्ण पृथ्वी उसके तेज से परिपूर्ण है!" (यशायाह६:३) यशायाह का प्रतिक्रिया? "हाय! हाय! मैं नष्ट हुआ; क्योंकि मैं एक पापी मनुष्य हूँ; मैं अशुद्ध होंठवाला मनुष्य हूं, और अशुद्ध होंठवाले लोगों के मध्य निवास करता हूं। क्योंकि मैंने सेनाओं के यहोवा महाराजाधिराज को अपनी आँखों से देखा है!" (यशायाह ६:५)
परमेश्वर को देखने के द्वारा से यशायाह को स्वयं को देखने की दृष्टि मिली। अशुद्ध। वह अपने आस-पास की गन्दी संस्कृति में बुरी तरह लिप्त था। कुछ भी लेकिन पवित्र। इसलिए परमेश्वर ने यशायाह को छुआ। वह क्षमा करना,और पवित्र करना और एक नई तत्परता का बहुत आनंद लेते हैं। परमेश्वर एक मनुष्य प्रतिनिधि को पुकारते हैं। यशायाह ने जवाब दिया, "हे प्रभु! मैं जाऊँगा! मुझे भेजें!"
यह हमारी कहानी हो सकती है। परमेश्वर की पवित्रता के प्रकाश में, हम नष्ट हो जातें हैं/टिक नहीं पाते। "हाय मुझ पर ! मैं अशुद्ध मनुष्यों के बीच में अशुद्ध मनुष्य हूं। हे प्रभु, अब जबकि मैंने तुझे वास्तविकता में देखा है, मैं स्वयं को देखता हूँ। सहायता कर !" और परमेश्वर, अपने उस अनुग्रह से जो हमारे पापों से कहीं बड़ा है, सही में सहायता करतें हैं। यदि उसकी पवित्रता महान है, तो उसका अनुग्रह अति महत्वपूर्ण है, क्योकिं यह हमारे हर पाप को, जो उसकी पवित्रता की शुद्धता का अपमान करतें हैं, ढाँकता है। "मेरे साथ यहोवा की बड़ाई करो, और आओ हम मिलकर उसके नाम की स्तुति करें।" ( भजन ३४:३)
उपवास के इस समय के दौरान हम यीशु मसीह के उस महान बलिदान, क्षमा जिसका दाम उन्होंने अपना जीवन देकर चुकाया, को स्मरण करतें हैं। हम स्वीकार करतें हैं कि हमारे पाप, परमेश्वर के साथ हमारे संबंधों के बीच में आ गए थे।
लेकिन, हमारी स्वीकृति पतली और खोखली होगी जब तक कि हम ये न समझें कि परमेश्वर कितना महान और पवित्र है। हम पाप की गंभीरता और उसके प्रभाव को हमेशा कम आँकते हैं, जो हमें परमेश्वर से भिन्न और उनकी अच्छी संगति के अयोग्य बनाता है। अपने आप को और दूसरों को माफ़ करने की हमारी कोशिशें भी व्यर्थ तथा खोख़ली होंगी जब तक हम यह नहीं समझेंगें कि कैसे यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर का अनुग्रह हमें पूरी तरह से ढांक कर रखता है, परमेश्वर के समक्ष हमें धर्मी और उनकी अच्छी संगति के योग्य बनाता है।
इसलिए इस समय के दौरान, हम परमेश्वर की पवित्रता पर ध्यान लगाते हैं और सोचतें हैं हमारे परमेश्वर जैसे, केवल प्रेममय आशय तथा अच्छी प्रेरणाओं से भरे होना कैसा लगता है।
यशायाह ६ मे, हम देखतें हैं कि महान भविष्यवक्ता की कहानी परमेश्वर के सिंहासन, जो चारों ओर से स्वर्गदूतों से घिरा हुआ है, के बहुत विशाल दर्शन से आरम्भ होती है। दिन और रात, वे पुकारते रहतें हैं, "सेनाओं का यहोवा पवित्र, पवित्र, पवित्र है; सम्पूर्ण पृथ्वी उसके तेज से परिपूर्ण है!" (यशायाह६:३) यशायाह का प्रतिक्रिया? "हाय! हाय! मैं नष्ट हुआ; क्योंकि मैं एक पापी मनुष्य हूँ; मैं अशुद्ध होंठवाला मनुष्य हूं, और अशुद्ध होंठवाले लोगों के मध्य निवास करता हूं। क्योंकि मैंने सेनाओं के यहोवा महाराजाधिराज को अपनी आँखों से देखा है!" (यशायाह ६:५)
परमेश्वर को देखने के द्वारा से यशायाह को स्वयं को देखने की दृष्टि मिली। अशुद्ध। वह अपने आस-पास की गन्दी संस्कृति में बुरी तरह लिप्त था। कुछ भी लेकिन पवित्र। इसलिए परमेश्वर ने यशायाह को छुआ। वह क्षमा करना,और पवित्र करना और एक नई तत्परता का बहुत आनंद लेते हैं। परमेश्वर एक मनुष्य प्रतिनिधि को पुकारते हैं। यशायाह ने जवाब दिया, "हे प्रभु! मैं जाऊँगा! मुझे भेजें!"
यह हमारी कहानी हो सकती है। परमेश्वर की पवित्रता के प्रकाश में, हम नष्ट हो जातें हैं/टिक नहीं पाते। "हाय मुझ पर ! मैं अशुद्ध मनुष्यों के बीच में अशुद्ध मनुष्य हूं। हे प्रभु, अब जबकि मैंने तुझे वास्तविकता में देखा है, मैं स्वयं को देखता हूँ। सहायता कर !" और परमेश्वर, अपने उस अनुग्रह से जो हमारे पापों से कहीं बड़ा है, सही में सहायता करतें हैं। यदि उसकी पवित्रता महान है, तो उसका अनुग्रह अति महत्वपूर्ण है, क्योकिं यह हमारे हर पाप को, जो उसकी पवित्रता की शुद्धता का अपमान करतें हैं, ढाँकता है। "मेरे साथ यहोवा की बड़ाई करो, और आओ हम मिलकर उसके नाम की स्तुति करें।" ( भजन ३४:३)
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में

मोज़ेक पवित्र बाइबल से अनुकूलित यह दैनिक भक्ति प्रकाशन, 46 दिन के उपवास काल के दौरान, आपको अपना ध्यान यीशु पर केंद्रित करने मे लेखन , उद्धरण और वचन द्वारा आपकी मदद करेगा। अगर आप उपवास काल के विषय में अनभिज्ञ हैं या आप जींवन भर उपवास और कलीसियाई साल का अभ्यास करतें आ रहे हैं, ऐसे में आप ऐतिहासिक और दुनिया भर के ईसाईयो द्वारा पवित्र लेख और धार्मिक अन्तर्दृष्टि को सराहेंगे। पुनरुत्थान पर्व के शुरू के इन हफ्तों में प्रभु यीशु पर धयान केन्द्रित करनें में आप भी हमारें और दुनिया भर के कलीसियाओं के साथ जुडें !
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हम टिंडेल हाउस पब्लिशर्स का उनकी उदारता के लिए धन्यवाद करते हैं की उन्होंने लेंट के लिए बाइबिल आधारित मनन पाठ हमें उपलब्ध करवाया. पवित्र बाइबिल :मोज़ेक के बारे मैं और जानने के लिए आयें www.tyndale.com/p/holy-bible-mosaic-nlt/978141432205