बच्चों के लिए बाइबिलUkázka

वह औरत शोरगुल वाले पहाड़ी इलाके में खड़ी थी, उनकी उदास आँखे भयंकर दृश्य देख रही थी। उसका बेटा मर रहा था। वह माँ मेरी थी, वह उस जगह पर खड़ी थी जहाँ यीशु को सुली पर कील ठोंका जा गया था।
यह सब कैसे हुआ? इतनी नृशंसता से कैसे यीशु का सुन्दर जीवन नष्ट हो गया? परमेश्वर ने कैसे ऐसी अनुमति दी कि यहाँ उनकी संतान को सूली पर कील से ठोककर मारा जाय? क्या यीशु ने कोई गलती की थी? क्या परमेश्वर से कोई गलती हुई थी?
नहीं! परमेश्वर से कोई गलती परमेश्वर से कोई गलती नहीं हुई थी। गलती नहीं की थी। यीशु हमेशा यह जानते थे कि कोई दुष्ट व्यक्ति ही उन्हें मारेगा। यहाँ तक कि जब यीशु बच्चे थे तभी साइमन नामक एक बूढ़ा व्यक्ति मेरी से कहा था कि यह उदासी कभी भी आ सकती है।, दुष्ट सब जगह करना है)।
यीशु के मरने से कुछ दिन पहले एक औरत आयी और उसने उनके पैरों पर इत्र का मरहम लगाया। “वह रूपये बर्बाद कर रही है।” उनके अनुयायियों ने शिकायत की। “उसने अच्छा काम किया है।” “उसने ऐसा मेरी कब्र के लिए किया है।” कितनी अजीब बातें थी यह?
इसके बाद जुडास, जो कि यीशु के बारह अनुयायियों में से एक था, चाँदी के तीस सिक्कों के बदले प्रमुख पादरी के लिए यीशु से विश्वासघात करने को तैयार हो गया।
यहूदियों के दावत के बाद, यीशु ने अपना अंतिम खाना अपने अनुयायियों के साथ खाया। उन्होंने उनको परमेश्वर और उनकी वाणी के लिए एक अद्भुत बातें कही जो उनको प्यार करता है। उन्होंने उन सबों में बाँटने के लिए ब्रेड और प्याला दिया। यह इस बात का स्मरण था कि यीशु का शरीर और उनका खून पापियों के अपराध के लिए क्षमा दिया गया था।
तब यीशु ने अपने दोस्तों से कहा कि वह विश्वासघात कर सकता है, और भाग सकता है। “मैं नहीं भागूँगा” पीटर ने जिद्द किया। “मुर्गे के बाँग से पहले तुम मुझसे तीन बार इनकार करोगे।” यीशु ने कहा।
उस रात के बाद यीशु गेथ्समनी के बगीचे में प्रार्थना करने गया। उनके अनुयायी जो उनके साथ थे, सो गए। “हे परमपिता!” यीशु ने प्रार्थना किया, “... यह प्याला मुझसे हटाओ। तथापि यह मेरी इच्छा नहीं है, किन्तु जैसी तुम्हारी इच्छा।”
उसी समय एक भीड़ बगीचे में घुसी, जिसका नेतृत्व जुडास कर रहा था। यीशु ने प्रतिरोध नहीं किया, किन्तु पीटर ने एक आदमी का कान काट लिया। यीशु ने शांति से उस आदमी का कान छुआ और उसके घाव भर गए। यीशु जानता था कि उसकी गिरफ्तारी परमेश्वर की इच्छा का ही एक अंश है।
भीड़ ने यीशु को प्रमुख पादरी के घर लाया। जहाँ यहूदी के नेताओं ने कहा कि यीशु को मार देना चाहिए। नजदीक ही पीटर सेवकों के आग के बगल में खड़ा था और देख रहा था। तीन बार लोगों ने पीटर को घूरकर देखा और कहा, “तुम यीशु के साथ थे!” तीनों बार पीटर ने इनकार किया, जैसा कि यीशु ने कहा वैसा ही किया। यहाँ तक कि पीटर को भी गाली और शाप दिया गया।
उसी समय मुर्गे ने बाँग दिया। यह पीटर के लिए परमेश्वर की वाणी की तरह था। यीशु के वचन को याद करते हुए पीटर फूट-फूटकर रोने लगा।
जुडास भी बहुत दुःखी था। वह जानता था कि यीशु किसी भी पाप या अपराध के लिए दोषी नहीं था। जुडास ने चाँदी के 30 टुकड़े वापस ले लिया, किन्तु पादरी वह नहीं ले जाएगा। जुडास बाहर गया, रूपये नीचे की ओर फेंक दिया— और अपने आपको लटका लिया।
पादरी ने यीशु को पिलात, रोमन राज्यपाल के समक्ष लाया। पिलात ने कहा, “मैंने इस आदमी में कोई भी दोष नहीं पाया।” किन्तु भीड़ चिल्लाती रही। “उन्हें सूली पर चढ़ाओ! उन्हें सूली पर चढ़ाओ!”
अंततः पिलात ने आदेश दिया कि यीशु को सूली पर चढ़ा दिया जाय। सैनिकों ने यीशु को घूँसे मारे, उनके मूँह पर थूका और उनपर चाबुक बरसाये। उन्होंने लम्बे तेज काँटों का एक ताज बनाया और उसे उनके माथे में घुसेड़ दिया। तब उन्होंने उन्हें मारने के लिए लकड़ी के सूली पर कील ठोंक दिया।
यीशु को हमेशा ही पता था कि वह इस तरह से मरेगा। वह यह भी जानता था कि उनका मौत उन पापियों के लिए क्षमा होगा जो उनमें विश्वास रखता है। यीशु के पीछे दो अपराधियों को भी सूली पर चढ़ाया गया था। एक यीशु में विश्वास रखता था — और स्वर्ग गया। दूसरा नहीं जा सका।
घंटों की पीड़ा के बाद, यीशु ने कहा, “यह समाप्त हो गया” और मर गया। उसका काम हो चुका था। उनके दोस्तों ने उन्हें एक निजी कब्र में दफनाया।
रोमन सैनिकों ने कब्र की किलेबंदी कर उसका पहरा किया। अब कोई भी आदमी न तो बाहर और न ही अंदर आ सकता था।
अगर यह कहानी का अंत था, तो यह कितना दुःखद था। पर परमेश्वर ने कुछ अद्भुत किया। यीशु मरा हुआ नहीं रह सका।
सप्ताह के प्रथम दिन का सुबह-सुबह, यीशु के कुछ अनुयायियों ने देखा कि कब्र के पत्थर इधर-उधर लुढ़के हुए हैं। जब उसने अंदर झाँका तो पाया कि वहाँ यीशु नहीं थे।
एक औरत वहाँ रूकी थी, और कब्र के पास रो रही थी। उसे यीशु दिखायी दिया! वह मारे खुशी के वहाँ से दौड़ी अन्य अनुयायियों को कहने के लिए। “यीशु जिन्दा हैं! यीशु मृत्यु से लौट आए!”
शीघ्र ही यीशु अपने अनुयायियों के पास आए, और कील से घाव हुए अपने हाथ दिखाया। यह सत्य था। यीशु फिर से जिन्दा हो गए थे! उन्होंने उन्हें मारने के लिए पीटर को क्षमा कर दिया, और उन्होंने अपने अनुयायियों से सबों को ऐसा कहने को कहा। और फिर वह स्वर्ग चले गए जहाँ से वह पहली क्रिसमस को आए थे।
समाप्त
Písmo
O tomto plánu

ये सब कैसे शुरु हुआ? हम कहां से आए थे? दुनिया में इतनी दुःख क्यों है? क्या कोई उम्मीद है? क्या मृत्यु के बाद जीवन है? जैसे ही आप दुनिया के इस सच्चे इतिहास को पढ़ते हैं, जवाब पाएं।
More
Podobné plány

Ester: Pro chvíli, jako je tato

Svoboda

Radujme se

Sedmidenní vánoční rozjímání

Zkus se modlit

Milost ve vašem příběhu

Uvědomit si, že Bůh mě miluje

Zůstávejme v Ježíši: Přinášejme trvalé ovoce (Love God Greatly/Miluj Boha nesmírně)

Porazit sebevědomí a úzkost
