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अनमोल समय...अनंतता के महत्वपूर्ण पल

20天中的第19天

  मेरा पिता सबसे बलवान

हे परमेश्वर, हे मेरे बल, मैं तुझ से प्रेम करता हूं। (भजन 18:1)

ये राजा दाऊद के शब्द हैं, जिसने अपने शत्रुओं के हाथों से छुड़ाए जाने के लिए परमेश्वर को धन्यवाद दिया। भजन संहिता में, राजा दाऊद अपने शारीरिक खतरों से बचाये जाने के विषय में कहता है। लेकिन हम जानते हैं कि परमेश्वर हमें सभी तरह के खतरों से बचाएंगे - देखी और अनदेखी, जाना-अंजाना, शारीरिक, मानसिक और आत्मिक।

व्यक्तिगत रूप में, मेरे लिए यह छोटी सी घोषणा ही पूरे सुसमाचार का सार है। हमारे पिता के साथ हमारा रिश्ता इतना सरल होना चाहिए। 

जब यीशु से पूछा गया कि सबसे बड़ी आज्ञा कौन सी है, तो उसने उत्तर दिया कि हमें अपने परमेश्वर से अपने पूरे मन, हृदय और प्राण से प्रेम रखना चाहिए (मत्ती 22:37)। उसने कहा, ‘‘जो कुछ भी हम करते हैं, उसमें परमेश्वर सबसे पहले होना चाहिए।” इसके बदले में, परमेश्वर हमें एक ऐसा जीवन जीने की शक्ति देंगे जो उनकी धार्मिकता को झलकाती हैं। वह हमें कठिन समयों और परिस्थितियों में से पार होने में मदद करते हैं, हर कष्ट से हमें छुड़ाते हैं, और हमारे जी में जी ले आते हैं । वह हमेशा हमारे साथ रहने का वायदा करते हैं और कभी हमें छोड़ते नहीं हैं (व्यवस्थाविवरण 31:6)। वह सामर्थ और शक्ति का एक अनंत स्त्रोत है। यह काफी आश्वासन देने वाली बात है कि जब हम किसी भी तरह की मुसीबत का सामना करते हैं तक हम परमेश्वर की सामर्थ पर निर्भर रह सकते हैं। उनकी सामर्थ हमारी कमज़ोरी में हमें सिद्ध बनाती है। आपके जीवन में उन्हें आप प्रथम स्थान दो और वह आपको ले चलेगा।

प्रार्थना

हे प्रभु, आज एक नया दिन है। मैं आपसे बिनती करता हूं कि आप मुझे इस दिन की बहुतायत में जीने की शक्ति दे, और जो कुछ मैं करूं, उसमें आपको प्रथम स्थान दूं। आमीन्।

读经计划介绍

अनमोल समय...अनंतता के महत्वपूर्ण पल

प्रतिदिन के मनन को पढ़िए और पवित्रशास्त्र की आयतों का मनन कीजिए। एक जीवन परिवर्तित करने वाली गवाही या परमेश्वर के अलौकिक सामर्थ के प्रदर्शन को पढ़ने के बाद कुछ समय के लिए रूकें। अंत में दी गई प्रार्थना या घोषणा के अर्थ को समझते हुए उसे दोहराएं। इस बात को जानें कि परमेश्वर के जिस प्रेम और सामर्थ को लेखकों ने अनुभव किया था, वह आपका भी हो सकता है।

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