अनमोल समय...अनंतता के महत्वपूर्ण पल预览

नई शुरूआत में परमेश्वर का अनुग्रह
बेबीलोन राज्य के द्वारा इस्त्राएल को लूटा गया और लगभग 50 वर्षों तक उन्हें बंधक बनाया गया। अब, फारस के साम्राज्य ने कुस्त्रू सम्राट की अगुवाई में सामर्थी बेबीलोन पर कब्जा कर लिया, और साथ ही यहूदियों के पास अपनी भूमि पर लौट आने का यह एक अवसर था। राजा कुस्त्रू ने यहूदियों से न केवल उनके देश को लौट जाने को कहा, बल्कि यरूशलेम में जाकर परमेश्वर के मंदिर को फिर से बनाने को भी कहा। उसने उनपर अपने बड़े अनुग्रह को दिखाया और यह आदेश दिया किः
1. पुनर्निमाण का सारा खर्च राजकीय ख़जाने में से चुकाया जाएगा।
2. सोना और चांदी और सारी सामग्रियां, जो नबूकदनेस्सर राजा यरूशलेम से लेकर आया था, वे सभी लौटा दी जाएंगी और परमेश्वर के भवन में पहुंचा दी जाएंगी।
3. इस्त्राएल के अगुवों को सम्मानित किया जाना था - उनके सभी खर्च राजकीय ख़जाने में से पूरा किए जाने थे और याजकों को कर से मुक्त किया गया था।
4. बैल, भेड़, मेढ़ें, नमक, तेल, गेहूं और दाखमधु सभी कुछ प्रतिदिन के अनुसार उन्हें परमेश्वर के मंदिर में स्वेच्छा से अर्पण करने के लिए दिए गए थे।
5. यदि फारस के किसी भी व्यक्ति ने राजा की आज्ञा को मानने से इंकार किया तो उनके घरों को गिरा कर ढ़ा दिए जाएंगे।
यह अपने लोगों पर परमेश्वर का अनुग्रह था, जो एक ‘‘अन्यजातिय फारसी राजा” के द्वारा लाया गया था। हालांकि राजा कुस्त्रू परमेश्वर को नहीं जानता था, फिर भी वह एक धार्मिक राजा था। उसने इस्त्राएलियों को, जो परमेश्वर के लोग थे, आदर दिया, और उन्हें फिर से अपने जीवनों को उस वायदे के देश में उस कार्य को करते हुए आरंभ करने में मदद की जो सबसे महत्वपूर्ण था - अर्थात् परमेश्वर के मंदिर को फिर से बनाना, वह स्थान जहां वे अपने परमेश्वर से मिल सकते थे। यह परमेश्वर के साथ एक नई शुरूआत का प्रतीक था। यहां तक कि परमेश्वर अन्यजातियों को भी अपने वचन को पूरा करने के लिए इस्तेमाल करता है और उनके द्वारा हम पर बड़ा अनुग्रह करता है। परमेश्वर ने जो कुछ कहा है, वह अवश्य ही पूरा होगा, फिर चाहे यह अविश्वासियों के द्वारा ही क्यों न हो।
घोषणा
मैं परमेश्वर के अनुग्रह की अपेक्षा करता और ग्रहण करता हूं, यहां तक कि उन अन्यजातियों के द्वारा भी जिन्हें परमेश्वर ने मेरे चारों ओर रखा है। कोई भी जन उस योजना के विरूद्ध नहीं आ सकता जो परमेश्वर ने मेरे लिए बनाई है।
读经计划介绍

प्रतिदिन के मनन को पढ़िए और पवित्रशास्त्र की आयतों का मनन कीजिए। एक जीवन परिवर्तित करने वाली गवाही या परमेश्वर के अलौकिक सामर्थ के प्रदर्शन को पढ़ने के बाद कुछ समय के लिए रूकें। अंत में दी गई प्रार्थना या घोषणा के अर्थ को समझते हुए उसे दोहराएं। इस बात को जानें कि परमेश्वर के जिस प्रेम और सामर्थ को लेखकों ने अनुभव किया था, वह आपका भी हो सकता है।
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