जाय क हि लोगों सी कह्य, कि
सुनतो त रहो, पर नहीं समझो,
अऊर देखत त रहो, पर नहीं बुझ सको;
कहालीकि हि लोगों को मन मोटो
अऊर उन्को कान भारी भय गयो हंय,
अऊर उन्न अपनी आंखी बन्द करी हंय,
असो नहीं होय कि हि कभी आंखी सी देखे
अऊर कानो सी सुने
अऊर मन सी समझेंन
अऊर फिरेंन,
अऊर मय उन्ख चंगो करू।