परमेश्वर के संपर्क - पुराने नियम की एक यात्रा (भाग 1 पुराने नियम का सार, कुलपतियों के काल )Примерок

परमेश्वर के विशेष हस्तक्षेप
हमने उत्पत्ति में परमेश्वर के कार्यों को देखा हैं। क्या यीशु इसमें शामिल थे ? आपको कैसे पता कि यह यीशु थे? वह उन अवसरों पर क्या संदेश देते हैं?
उत्पत्ति 3:8,9 अदन की वाटिका में आदम और हव्वा के साथ परमेश्वर के चलने और बात करने यहाँ तक कि उन्हें कपड़े पहनाने की ओर संकेत करता है। यूहन्ना 1:18 कहता है ‘‘परमेश्वर को किसी ने कभी नहीं देखा, एकलौता पुत्र जो पिता की गोद में है, उसी ने उसे प्रगट किया।’’
यदि किसी ने परमेश्वर को नहीं देखा, तो आदम के साथ कौन चलता और बात करता था? कौन याकूब से लड़ा? कौन अब्राहम और हाजिरा पर प्रगट हुआ? यह यीशु ही रहा होगा। आइए इनमें से मसीह के - कुछ ‘‘विशेष हस्तक्षेपों’’ को देखें।
शावे की घाटि में कदोर्लाओमेर को हराने के बाद, अब्राहम ने शालेम के राजा मल्कीसेदेक से रोटी और दाखरस (पहला प्रभु भोज) प्राप्त किया और उसे (पहला) दशमांश दिया। (उत्पत्ति 14:17-20)। इब्रानियों 7:3 उसे इस प्रकार संदर्भित करता है कि ‘‘जिस का न पिता, न माता, न वंशावली है, जिस के न दिनों का आदि है और न जीवन का अंत है; परन्तु परमेश्वर के पुत्र के स्वरूप ठहरा है’’। इब्रानियों 13:20 यीशु को मल्कीसेदेक की ‘‘रीति पर’’ दर्शाता है।
किसने अब्राहम के हाथ को इसहाक को मारने से रोका? जब हम यीशु की मृत्यु और अब्राहम के बलिदान के बीच कई समानताएं देखते हैं तो यह और अधिक अर्थपूर्ण हो जाता है । दोनों इकलौते पुत्र थे, दोनों लकड़ी/क्रूस उठाते हैं, और दोनों ही बदले में किये गए बलिदान का अनुभव करते हैं, मोरिय्याह पर्वत पर, अर्थात परमेश्वर द्वारा किये गए प्रयोजन का, आदि।
‘‘एक मनुष्य’’ के साथ याकूब का प्रसिद्ध मल्लयुद्ध है जिसका समापन उसके द्वारा परमेश्वर की आराधना करने से होता है। (उत्पत्ति 32:24-25, 28-30)
उत्पत्ति में ही हम मसीह के द्वारा, मसीह की प्रतिज्ञा को देखते हैं, जो हैः
·एक वंश जो शैतान को हराएगा (उत्पत्ति 3)
·एक उद्धारकर्ता जो दूसरों के बदले बलिदान देगा - कलवरी की प्रस्तावना (उत्पत्ति 22)
·एक पुत्र जो परमेश्वर के राज्य में संयुक्त-पुत्रत्व को सक्षम बनाता है (उत्पत्ति 14:17-20)
·एक आत्मा जोः
- खोए हुए संसार में दृढ़ता और सांतवना देता है,
- हमें परमेश्वर के अधीन करने के लिए हमारे साथ मल्लयुद्ध कर रहा है
·परमेश्वर के समान
- दशमांश लेता है, न्याय करता है, युद्धों को जीतता है, आशीषित करता है, बचाता है आदि।
जबकि मनुष्य विफल रहता है, परमेश्वर प्रबल होता है
जिसे मनुष्य मारता है, परमेश्वर फिर से बनाता है
·परमेश्वर कभी भी अपने भविष्य या भूतकाल के ज्ञान को एक व्यक्ति के साथ वर्तमान व्यवहार में हस्तक्षेप नहीं करने देते।
·परमेश्वर सबसे निराशाजनक स्थितियों और लोगों में पुर्नस्थापन के अवसर प्रदान करते हैं।
·परमेश्वर तब भी वर्तमान परिस्थितियों में अपनी योजनाओं पर कार्य करना जारी रखते हैं जब उसकी सिद्ध योजनाएं जोखिम में पड़ जाती हैं।
मसीहकीउपस्थितिजिसअसीमसामर्थ्यकोलातीहैक्याहमउसकालाभउठारहेहैं?
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पुराने नियम में, परमेश्वर ने लोगों (संपर्क) को चुना, उनके साथ अनेकों तरीकों से बातचीत की।यह, नए नियम के प्रकाश में, वचन के गहरे दृष्टिकोण को प्रदान करता है। परमेश्वर के संपर्को के चार भाग हैं, जिसमे पहला भाग पुराने नियम के कुलपतियों का काल है – जिसमे प्रमुख लोगों के आधार अर्थात विश्वास की चर्चा की गयी है।
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