उदारता में महारतीनमूना

हो सकता है कि आप उदारता के बारे में ‘करना ही है’ सोच रखते हो- जो मसीही जीवन का जरूरी हिस्सा तो हैं लेकिन पसन्दीदा नहीं। यदि ऐसा है तो, आइये हम चार साधारण कारणों को देखें कि ये जीवन जीने के सबसे बुद्धिमान या उत्तम तरीके क्यों हैं।
1. उदारता महारती इसलिए है क्योंकि यह हमारे जीवन को परिवर्तित कर देती है।
उदारता के साथ देने वाले लोग देते समय बहुत अच्छा महसूस करते हैं और वे अपने आप को सोच से बढ़कर आशीषित समझते हैं। उनके जीवन में बहुत बड़े बड़े काम हुए होते हैं, और उसके साथ में रहने वालों के जीवन में भी बड़े बड़े काम होते हैं। यीशु ने कहा कि देना लेने से उत्तम है। नीतिवचन 11:25 हमें बताता है, “उदार प्राणी हष्ट पुष्ट हो जाता है, और जो औरों की खेती सींचता है, उसकी भी सींची जाती है।”
2. उदारता हमें दूसरों के साथ जोड़ देती है।
जब लोग उदार और कृपालु होते हैं, वे लोगों पर प्रेम और ख़ुशी को बरसाते हैं। जो लोग कृपा करना जानते हैं, जो दूसरों के लिए भलाई करते हैं, जो बिल लेकर अपनी हद से बाहर जाकर लोगों पर अनुग्रह करते हैं, उनमें कुछ बहुत आकर्षित करने वाली विशेषता होती है। उदारवादी लोग रिश्तों में सकारात्मकता को प्रवाहित करते हैं। वे ऐसा माहौल बताते हैं कि सारे लोग उनके साथ ही रहना चाहते हैं।
3. उदारता हमें प्रभावशाली क्षेत्रों में निवेश करने में मदद करती है।
उदारती इसलिए भी श्रेष्ठ है क्योंकि यह सुनिश्चित और उच्च स्तर का मुनाफा देने वाला निवेश है। यह केवल एक व्यवहारिक विषय से बढ़कर है। आत्मिक तौर पर उदारता अल्प-दृष्टि, हमारे समय, हमारी प्रतिभाओं, और हमारे खज़ाने को बर्बाद करने से बचाती है और वह हमारे लिए दीर्घ कालीन सम्पत्ति को तैयार करती है। एक तरीके से देखें तो, जो भी कुछ आप करते हैं वह एक प्रकार का निवेश है। आप हमेशा अपने समय, प्रतिभा और खज़ाने को किसी न किसी काम में लगाते रहते हैं। जहां कहीं आप अपने धन को लगाते है, वहीं पर असल में आपका हृदय लगा हुआ है।
4. उदारता हमारे हृदय को स्वतन्त्र करती है।
यीशु हमें बुरे निवेश अर्थात बर्बादी करने से बचाना चाहते हैं और हम से अनन्त कामों में निवेश करवाना चाहते हैं। यह सिद्धान्त केवल पैसे से कहीं अधिक बढ़कर है; यह हमारे हृदय से जुड़ा मुद्दा है।
परमेश्वर के सम्मुख धन हमारे हृदय का दर्पण है। यदि आप परमेश्वर के साथ अपने सही सम्बन्ध को नापना चाहते हो, तो आप अपनी चेकबुक और अपने क्रेडिट कार्ड पर नजर मार लें। ध्यान दें कि आपका धन कहां पर जा रहा है। वह आपको बताएगा कि आपका मन वास्तव में कहां पर लगा हुआ है।
जीवन में दो प्रकार के खज़ाने हैंः एक जो स्थायी हैं और दूसरे अनन्त। हमें इस बात का फैसला लेना है कि हम किस प्रकार के खजाने के लिए जीने जा रहे हैं- हम वर्तमान काल के लिए जीना चाहते हैं या फिर अनन्तता के लिए। यदि हमारी आंखें परमेश्वर की चीजों पर लगी हैं, तो वह हमारा स्वामी है। लेकिन यदि हमारी आँखें इस संसार की वस्तुओं पर लगी है तो, संसार हमारा स्वामी है।
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में

उदारता में महारती, नामक पुस्तक में से ली गयी अध्ययन करने की पांच दिनों की योजना में, चिप इंग्राम बताते हैं किस प्रकार से हम वह महारती या निपुण लोग बन सकते हैं जिसके लिए हमें रचा गया था- अर्थात वे लोग जो उदारता में निपुण होने के लाभ को समझते हैं।
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हम इस योजना को प्रदान करने के लिए एज ऑन लिविंग को धन्यवाद देना चाहेंगे। अधिक जानकारी के लिये कृपया यहां देखें: https://livingontheedge.org/
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