लेंट (उपवास काल) के लिए पवित्र बाइबिल से धार्मिक पाठ : मोज़ेक नमूना

शनिवार (स्टीव थॉमेसन)
शनिवार एक लंबा और गंभीर दिन रहा होगा. न केवल वे अपनी जान के भय में छिपे थे, लेकिन इससे बुरा, वे गहरे दुख में थे. यीशु उनके बीच में नहीं थे. उनके शिष्यों ने देखा की एक दिन पहले क्रूस पर चढ़ाने के लिए सैनिकों यीशु को लेकर गये थे. अब शनिवार था,उनके गुरु मर गये थे और दु: ख गहरा था,उन्हें पूरी तरह खोखले छोड़ दिया था.
वे इससे सहमत नहीं थे. यीशु मसीहा थे माना गया था. वह उन्हें उनके उत्पीड़कों पर विजय प्राप्त करने के लिए नेतृत्व करने वाला था. वह एक बार फिर इज़रायल को स्थापित करने वाले थे एक मजबूत राष्ट्र के रूप में और उन्हें न्याय का आनंद लेने की अनुमति दें. दर्द, दु: ख और गम इसका हिस्सा नहीं था.
उस अँधेरे शनिवार के दिन शायद आपने शिष्यों की तरह महसूस किया होगा. मुझे पता है कि मैंने ऐसा महसूस किया है. मेरे जीवन में एक पंद्रह महीने की अवधि में मैंने अनुभव किया एक मित्र की मृत्यु, दो दादी की, मेरे ससुर की, और जो चर्च उन्होने शुरू किया था, और साथ ही भाभी और भतीजी के करीब मौत का अनुभव. बस! मैं वहाँ था. लग रहा था जैसे मेरे आस पास सब कुछ मर रहा था. मैं इस के लिए कभी भी सहमति नहीं दी थी. मैंने सोचा था कि यीशु के पीछे चलना का मतलब था की ज़िंदगी में सिर्फ़ विजय और शांति प्राप्त होगा. मैंने सिर्फ़ दर्द और निराशा महसूस किया. वास्तव में, में ने महसूस करने की क्षमता खो दी थी. मैं चाहता हूं कि मैं कह सकूँं कि मैंने इसे आत्मविश्वास और सम्मान के साथ संभाला, चुपचाप सर सहमति में हिला कर और मुस्कुरा कर, परमेश्वर की सार्वभौमिकता के बारे में कहावत उद्धरण करते हुए. मैंने नहीं किया. मैं सुन्न इनकार और चिड़चिड़ा संदेह के बीच पक्ष बदलता रहा. मैंने सोचा कि शायद मुझ में कोई कमी थी. शायद परमेश्वर मुझे कुछ बात की दंड दे रहे हैं. शायद मुझे इन सभी वर्षों में धोखा दिया गया था और वास्तव में ब्रह्मांड एक ठंडा और खाली जगह था.
मुझे यह विचार आता है कि शिष्यों को उस अंधेरे शनिवार को इसी तरह की भावनाएं आए होंगे. ऐसा लग रहा था मानो सभी आशा चला गया था. हम इस तरह महसूस करते हैं क्योंकि हम एक महत्वपूर्ण सच भूल जाते हैं.सारी आशाएं चली गयीं. यीशु का मार्ग दर्द, दुःख और गम का है. यीशु ने अपने जीवन में बहुत कष्ट सहा था - उनकी गिरफ्तारी और निष्पादन के पहले भी. बचपन में, मिस्र में वह जान चुके थे कि अपने जीवन के लिए भय के कारण छिपे रहने का क्या मतलब होता है. उन्होंने अपने सौतेले पिता, यूसुफ के देहान्त का अनुभव किया. वह अपने दोस्त, लाज़र की मौत पर रोये. उन्होने इस्राएल के नागरिकों की अंधापन पर दुःख महसूस किया. वह गतसमने के बगीचे में इतने चिंतित और कष्ट में थे की उनका पसीना रक्त की बूँदों के समान था. जब वह क्रूस पर थे, उन्होने अपने पूर्वज दाऊद के शब्दों में चिल्लाया, “मेरे परमेश्वर, मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?”
लेकिन यीशु ने हमें बताया है कि यह इस तरह होगा. यूहन्ना के खाते के मुताबिक यीशु के अंतिम शिक्षण में यीशु ने कहा था कि परमेश्वर हर उस शाखा को छाँटते हैं जो दाखलता में है (यूहन्ना 15:1-17). छंटाई में दर्द होता है. आपके जीवन के बड़े हिस्सों को काट फेकना एक सुखद अनुभव नहीं है. कतरनी आपके शरीर को अपच्छेदन करने की सनसनी में कोई खुशी नहीं है. लेकिन, जैसे कि महान माली जानता है, बिना छंटाई के कोई जीवन नहीं है.
यह यीशु का तरीका है - परमेश्वर के प्रेम और अनुग्रह का मार्ग. भगवान हमें दर्द के साथ शुद्ध करते है. शिष्यों ने यह सीखा और आगे जाके इसके बारे में कलिसियों को लिख कर बताया. याकूब ने कहा जब कभी तुम तरह तरह की परीक्षाओं में पड़ो तो इसे बड़े आनन्द की बात समझो क्योंकि उससे धैर्यपूर्ण सहन शक्ति उत्पन्न होती है. पतरस ने हमें बताया कि कष्ट हमारे दिल को परिष्कृत करता है, परखे हुए सोने की तरह. और उसके बाद पौलुस, विवरण देते है उत्पीड़न में काम करने की दर्दनाक प्रक्रिया और पूर्वाग्रह की दीवारों को तोड़ना, और वह एक शब्द के साथ पूरी प्रक्रिया के चरम पर पहुंच गए - आशा.
शनिवार अंत में खत्म हो गया था. रविवार को शिष्यों एक वास्तविकता के साथ आमने-सामने आए जो दुःख से भी गहरा है. वे आशा से मिले. यीशु ने दर्द और दुख से संघर्ष किया और एक और बार दूसरी तरफ बाहर आए विजयी. शनिवार आएंगे. यह निश्चित है. वो आयेंगे और वे दर्द भरे होंगे. वे एक दिन रह सकता हैं; वे बीस महीने रह सकता हैं. पर जब यह आता है, यह याद रखना- शनिवार के बिना हमें रविवार नहीं मिलता है. यीशु का प्यार आज और हमेशा के लिए हमारी आशा है. हम शोक करेंगे, लेकिन हम आशा के साथ शोक कर सकते हैं.
शनिवार एक लंबा और गंभीर दिन रहा होगा. न केवल वे अपनी जान के भय में छिपे थे, लेकिन इससे बुरा, वे गहरे दुख में थे. यीशु उनके बीच में नहीं थे. उनके शिष्यों ने देखा की एक दिन पहले क्रूस पर चढ़ाने के लिए सैनिकों यीशु को लेकर गये थे. अब शनिवार था,उनके गुरु मर गये थे और दु: ख गहरा था,उन्हें पूरी तरह खोखले छोड़ दिया था.
वे इससे सहमत नहीं थे. यीशु मसीहा थे माना गया था. वह उन्हें उनके उत्पीड़कों पर विजय प्राप्त करने के लिए नेतृत्व करने वाला था. वह एक बार फिर इज़रायल को स्थापित करने वाले थे एक मजबूत राष्ट्र के रूप में और उन्हें न्याय का आनंद लेने की अनुमति दें. दर्द, दु: ख और गम इसका हिस्सा नहीं था.
उस अँधेरे शनिवार के दिन शायद आपने शिष्यों की तरह महसूस किया होगा. मुझे पता है कि मैंने ऐसा महसूस किया है. मेरे जीवन में एक पंद्रह महीने की अवधि में मैंने अनुभव किया एक मित्र की मृत्यु, दो दादी की, मेरे ससुर की, और जो चर्च उन्होने शुरू किया था, और साथ ही भाभी और भतीजी के करीब मौत का अनुभव. बस! मैं वहाँ था. लग रहा था जैसे मेरे आस पास सब कुछ मर रहा था. मैं इस के लिए कभी भी सहमति नहीं दी थी. मैंने सोचा था कि यीशु के पीछे चलना का मतलब था की ज़िंदगी में सिर्फ़ विजय और शांति प्राप्त होगा. मैंने सिर्फ़ दर्द और निराशा महसूस किया. वास्तव में, में ने महसूस करने की क्षमता खो दी थी. मैं चाहता हूं कि मैं कह सकूँं कि मैंने इसे आत्मविश्वास और सम्मान के साथ संभाला, चुपचाप सर सहमति में हिला कर और मुस्कुरा कर, परमेश्वर की सार्वभौमिकता के बारे में कहावत उद्धरण करते हुए. मैंने नहीं किया. मैं सुन्न इनकार और चिड़चिड़ा संदेह के बीच पक्ष बदलता रहा. मैंने सोचा कि शायद मुझ में कोई कमी थी. शायद परमेश्वर मुझे कुछ बात की दंड दे रहे हैं. शायद मुझे इन सभी वर्षों में धोखा दिया गया था और वास्तव में ब्रह्मांड एक ठंडा और खाली जगह था.
मुझे यह विचार आता है कि शिष्यों को उस अंधेरे शनिवार को इसी तरह की भावनाएं आए होंगे. ऐसा लग रहा था मानो सभी आशा चला गया था. हम इस तरह महसूस करते हैं क्योंकि हम एक महत्वपूर्ण सच भूल जाते हैं.सारी आशाएं चली गयीं. यीशु का मार्ग दर्द, दुःख और गम का है. यीशु ने अपने जीवन में बहुत कष्ट सहा था - उनकी गिरफ्तारी और निष्पादन के पहले भी. बचपन में, मिस्र में वह जान चुके थे कि अपने जीवन के लिए भय के कारण छिपे रहने का क्या मतलब होता है. उन्होंने अपने सौतेले पिता, यूसुफ के देहान्त का अनुभव किया. वह अपने दोस्त, लाज़र की मौत पर रोये. उन्होने इस्राएल के नागरिकों की अंधापन पर दुःख महसूस किया. वह गतसमने के बगीचे में इतने चिंतित और कष्ट में थे की उनका पसीना रक्त की बूँदों के समान था. जब वह क्रूस पर थे, उन्होने अपने पूर्वज दाऊद के शब्दों में चिल्लाया, “मेरे परमेश्वर, मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?”
लेकिन यीशु ने हमें बताया है कि यह इस तरह होगा. यूहन्ना के खाते के मुताबिक यीशु के अंतिम शिक्षण में यीशु ने कहा था कि परमेश्वर हर उस शाखा को छाँटते हैं जो दाखलता में है (यूहन्ना 15:1-17). छंटाई में दर्द होता है. आपके जीवन के बड़े हिस्सों को काट फेकना एक सुखद अनुभव नहीं है. कतरनी आपके शरीर को अपच्छेदन करने की सनसनी में कोई खुशी नहीं है. लेकिन, जैसे कि महान माली जानता है, बिना छंटाई के कोई जीवन नहीं है.
यह यीशु का तरीका है - परमेश्वर के प्रेम और अनुग्रह का मार्ग. भगवान हमें दर्द के साथ शुद्ध करते है. शिष्यों ने यह सीखा और आगे जाके इसके बारे में कलिसियों को लिख कर बताया. याकूब ने कहा जब कभी तुम तरह तरह की परीक्षाओं में पड़ो तो इसे बड़े आनन्द की बात समझो क्योंकि उससे धैर्यपूर्ण सहन शक्ति उत्पन्न होती है. पतरस ने हमें बताया कि कष्ट हमारे दिल को परिष्कृत करता है, परखे हुए सोने की तरह. और उसके बाद पौलुस, विवरण देते है उत्पीड़न में काम करने की दर्दनाक प्रक्रिया और पूर्वाग्रह की दीवारों को तोड़ना, और वह एक शब्द के साथ पूरी प्रक्रिया के चरम पर पहुंच गए - आशा.
शनिवार अंत में खत्म हो गया था. रविवार को शिष्यों एक वास्तविकता के साथ आमने-सामने आए जो दुःख से भी गहरा है. वे आशा से मिले. यीशु ने दर्द और दुख से संघर्ष किया और एक और बार दूसरी तरफ बाहर आए विजयी. शनिवार आएंगे. यह निश्चित है. वो आयेंगे और वे दर्द भरे होंगे. वे एक दिन रह सकता हैं; वे बीस महीने रह सकता हैं. पर जब यह आता है, यह याद रखना- शनिवार के बिना हमें रविवार नहीं मिलता है. यीशु का प्यार आज और हमेशा के लिए हमारी आशा है. हम शोक करेंगे, लेकिन हम आशा के साथ शोक कर सकते हैं.
पवित्र शास्त्र
इस योजना के बारें में

मोज़ेक पवित्र बाइबल से अनुकूलित यह दैनिक भक्ति प्रकाशन, 46 दिन के उपवास काल के दौरान, आपको अपना ध्यान यीशु पर केंद्रित करने मे लेखन , उद्धरण और वचन द्वारा आपकी मदद करेगा। अगर आप उपवास काल के विषय में अनभिज्ञ हैं या आप जींवन भर उपवास और कलीसियाई साल का अभ्यास करतें आ रहे हैं, ऐसे में आप ऐतिहासिक और दुनिया भर के ईसाईयो द्वारा पवित्र लेख और धार्मिक अन्तर्दृष्टि को सराहेंगे। पुनरुत्थान पर्व के शुरू के इन हफ्तों में प्रभु यीशु पर धयान केन्द्रित करनें में आप भी हमारें और दुनिया भर के कलीसियाओं के साथ जुडें !
More
हम टिंडेल हाउस पब्लिशर्स का उनकी उदारता के लिए धन्यवाद करते हैं की उन्होंने लेंट के लिए बाइबिल आधारित मनन पाठ हमें उपलब्ध करवाया. पवित्र बाइबिल :मोज़ेक के बारे मैं और जानने के लिए आयें www.tyndale.com/p/holy-bible-mosaic-nlt/978141432205