लेवीय व्यवस्था 5
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1‘यदि कोई व्यक्ति साक्षी होकर ऐसा पाप करता है कि शपथ खिलाकर पूछने पर कि “क्या तुमने यह देखा है,” अथवा “क्या तुम यह जानते हो?” वह बात को प्रकट नहीं करता है, तो उसे अपने अधर्म का भार स्वयं वहन करना पड़ेगा।#नीति 29:24 2अथवा यदि कोई व्यक्ति किसी अशुद्ध वस्तु को, चाहे वह अशुद्ध वनपशु, अशुद्ध पालतू पशु या अशुद्ध रेंगनेवाले जीव-जन्तु की लोथ हो, स्पर्श करता है और उससे यह बात छिपी रहती है तो वह अशुद्ध और दोषी हो जाएगा। 3अथवा यदि वह किसी अशुद्ध मनुष्य को स्पर्श करता है, चाहे वह अशुद्धता किसी भी प्रकार की हो, जिसको स्पर्श कर व्यक्ति अशुद्ध हो जाता है, और उससे यह बात छिपी रहती है तो जब उसे यह ज्ञात होगा तब वह दोषी हो जाएगा। 4अथवा यदि कोई व्यक्ति बिना विचार किए भला-बुरा करने की शपथ खाता है, बिना विचार किए कोई भी शपथ खाता है, और उससे यह बात छिपी रहती है, तो जब उसे यह ज्ञात होगी तब वह दोषी हो जाएगा। 5यदि कोई व्यक्ति इन बातों में से किसी एक के कारण दोषी बनता है, तो वह अपने पाप को स्वीकार करेगा, जिसे उसने किया है। 6जो पाप उसने किया है, उसके कारण वह प्रभु के सम्मुख अपनी दोष-बलि लाएगा। वह पाप-बलि के लिए रेवड़ में से एक मादा मेमना अथवा बकरी लाएगा। पुरोहित उस व्यक्ति के हेतु उसके पाप के निमित्त प्रायश्चित्त करेगा।
7‘यदि वह मेमना या बकरी चढ़ाने में असमर्थ है, तो जो पाप उसने किया है, उसके कारण वह प्रभु के सम्मुख अपनी दोष-बलि के रूप में दो पण्डुक या कबूतर के दो बच्चे लाएगा: उनमें से एक बच्चा पाप-बलि के लिए और दूसरा अग्नि-बलि के लिए। 8वह उनको पुरोहित के पास लाएगा। पुरोहित पाप-बलि के पक्षी को पहले चढ़ाएगा। वह उसका सिर गरदन के पास से मरोड़ देगा, पर उसे अलग नहीं करेगा। 9वह पाप-बलि का कुछ रक्त वेदी की एक ओर छिड़केगा, परन्तु शेष रक्त वेदी की आधार-पीठिका में बहाया जाएगा। यह पाप-बलि है। 10तत्पश्चात् वह दूसरे पक्षी को विधि के अनुसार अग्नि-बलि में चढ़ाएगा। पुरोहित उस व्यक्ति के हेतु, उसके पाप के निमित्त, जो उसने किया है, प्रायश्चित्त करेगा और उसे क्षमा प्राप्त होगी।
11‘यदि वह दो पण्डुक या कबूतर के दो बच्चे चढ़ाने में असमर्थ है तो, जो पाप उसने किया है, उसके कारण वह प्रभु के सम्मुख अपनी पाप-बलि के रूप में एक किलो#5:11 मूल में, ‘एपा का दसवाँ भाग’। मैदा लाएगा। वह उस पर तेल नहीं डालेगा। वह उस पर लोबान भी नहीं रखेगा; क्योंकि यह पाप-बलि है। 12वह उसको पुरोहित के पास लाएगा। पुरोहित उसमें से मुट्ठी भर मैदा स्मरण दिलाने वाले भाग के रूप में, प्रभु को अग्नि में अर्पित बलियों के ऊपर, वेदी पर जलाएगा। यह पाप-बलि है। 13पुरोहित उस व्यक्ति के पाप के लिए, जो उसने इन बातों में से किसी एक बात में किया है प्रायश्चित्त करेगा, और उसे क्षमा प्राप्त होगी। शेष भाग अन्न-बलि के सदृश पुरोहित का होगा।’
दोष-बलि
14प्रभु मूसा से बोला, 15‘यदि कोई व्यक्ति विश्वास-भंग करता है और प्रभु की किसी पवित्र भेंट के सम्बन्ध में अनजाने में पाप करता है, तो वह अपनी दोष-बलि के रूप में रेवड़ से एक निष्कलंक मेढ़ा प्रभु के पास लाएगा। उसका मूल्य पवित्र स्थान की तौल के अनुसार चांदी के सिक्के में निश्चित किया जाएगा। यह दोष-बलि है। 16जो पाप उसने पवित्र भेंट के सम्बन्ध में किया है, उसकी क्षति-पूर्ति भी वह करेगा। वह इसमें पांचवाँ भाग जोड़कर पुरोहित को देगा। पुरोहित दोष-बलि में मेढ़ा चढ़ाकर उसके हेतु प्रायश्चित करेगा, और उसे क्षमा प्राप्त होगी।
17‘यदि कोई व्यक्ति पाप करे, वह उन कार्यों में से किसी कार्य को करे जिन्हें प्रभु ने मना किया, यद्यपि वह यह नहीं जानता है, तो भी दोषी होगा और उसे अपने अधर्म का भार स्वयं वहन करना पड़ेगा। 18वह रेवड़ में से एक निष्कलंक मेढ़ा पुरोहित के पास लाएगा। मेढ़ा उतने ही मूल्य का होगा, जितना पुरोहित#5:18 शब्दश: तू दोष-बलि का निश्चित करेगा। जो भूल उसने अनजाने में की है, उसके कारण पुरोहित उसके निमित्त प्रायश्चित करेगा, और उसे क्षमा प्राप्त होगी। 19यह दोष-बलि है। वह व्यक्ति निश्चय ही प्रभु के सम्मुख दोषी था।’
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