परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 4 - भविष्यद्वक्ताओं का यु्ग)Sample

मसीह को स्वीकार करने के लिए इस्राएल की पुर्नस्थापना हुई
अतिरिक्त वचनः एज्रा,नहेम्याह
जब मनुष्य असफल होता है
तब परमेश्वर प्रबल होते हैं
जब मनुष्य हत्या करता है
तब परमेश्वर पुर्ननिर्माण करते हैं।
इस्राएल के याजक और राजा थरथरा रहे थे। भविष्यद्वक्ताओं की अनसुनी की जा रही थी। तब परमेश्वर ने अपने सामर्थी हाथों के द्वारा परदेशी राजाओं के माध्यम से यरूशलेम का पुनःनिर्माण कर दिया। चाहे हम करे या न करें,लेकिन जब परमेश्वर काम करते हैं,तो उसे करके ही छोड़ते हैं। जिस प्रकार से उस समय के लोगों और यहूदी अगुवों ने किया था,वैसे ही प्रभु के साथ हो लेना हमारे लिए लाभकारी साबित होगा।
यरूब्बाबेल,जो यहूदा का प्रधान व राजवंशज था536ई.पू में बंधुवाई से लौटने में प्रथम दल की अगुवाई करता है (एज्रा 1-6)। इस दौरान हाग्गै और जकर्याह यहूदियों को लगातार बने रहने के लिए प्रेरित करते है।535 ई.पू. में मन्दिर का निर्माण प्रारम्भ हो जाता है,और उसका समर्पण 18 फरवरी 516 ई.पू में होता है।
मार्च455 ई.पू में एज्रा दूसरे दल की वापसी में अगुवाई करता है (एज्रा 7-10)जिसमें करीब 1500 पुरूष और उनके परिवार जन शामिल थे।
445 ई.पू मेंनहेम्याहतीसरे दल की अगुवाई करता है (नहेम्याह 1-3)
इन अगुवों ने विविध प्रकार के अनेकों विरोधों का सामना किया लेकिन उन्होंने परमेश्वर की सामर्थ्य से उन पर विजय प्राप्त की।
- खतरे–पहले दल को परमेश्वर ने उनकी प्रथम यात्रा के दौरान शत्रुओं के आक्रमण और घात से बचाया(एज्रा 8:31)
- निराशा-(एज्रा4:4)जरूब्बाबेल ने सामरी उपनिवेशकों से किसी भी प्रकार के समझौते का विरोध न किया। इन उपनिवेशकों अर्थात शत्रुओं ने राजा और अधिकारियों को उन्हें हतोत्साहित करने के लिए घूस दी। इससे उनके काम करने की प्रक्रिया (एज्रा4:4) 10वर्षों के लिए रूक गयी। हाग्गै और जकर्याह ने भविष्यद्वाणी की कि निमार्ण कार्य चालू रहेगा (एज्रा5:1,हाग्गै1:2-9,जकर्याह6:11-15)
- मृत्यु–जिन यहूदियों ने फारस में रहने का चुनाव किया,उन सभी यहूदियों पर हामान के प्रभाव के कारण मौत का खतरा मण्डरा रहा था। परमेश्वर उस आदेश का विरोध करने के लिए पहले से ही एस्तेर और मोर्दकै को खड़ा कर दिया (एस्तेर3:13,14)।
- अपवित्रीकरण–अन्यजातियों के साथ विवाह,जो निषेध था प्रबलता से हो रहा था (एज्रा9:2,3)।नहेम्याहऔर एज्रा के लिए इस दाग को मिटाना और लोगों की अपने परमेश्वर के साथ वाचा बंधवाना जरूरी था।
- असन्तुष्टि(नहेम्याह5:1-5)–अपने घर के लोगों की ओर क्लेश और झगड़े के साथ साथ बाहरी शत्रुओं की ओर से ताने व आक्रमण के कारण वे परेशान हो गये थे। लेकिन नहेम्याह उन सभों को एकता की माला में पिरोए रहा। कुस्रू राजा की अगुवाई में बाकि के फारस के राजा परमेश्वर के हाथों में शाक्तिशाली हथियार थे (नीतिवचन21:1)
जिन्होंनेः
- मन्दिर कापुनःनिर्माण किया
- खोये हुए धन-सम्पदा कीबहाली की
- परमेश्वर व उसके वचनों के प्रति आज्ञाकारिता परज़ोर दिया।
(2 इतिहास 36:22-23 ,एज्रा 1:1-11)
उनके आदेश का विरोध करने वाला कोई न था।
एक टूटी हुई कलीसिया में, परमेश्वर के लोगों को एकत्रित करने के लिए, क्या हम अपनी भूमिका को निभा रहे हैं? जब हम लोग भी ठीक इसी प्रकार की चुनौतियों, विरोधियों और शक्तिओं का सामना करते है, तो क्या हम परमेश्वर पर भरोसा करते हैं? जबकि इस्राएल मसीह के दूसरे आगमन के लिए पुनःस्थापित हो गया है,क्या हम परमेश्वर के साथ मिलकर उसके लोगों को उसे स्वीकार करने के लिए तैयार कर रहे हैं?
Scripture
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राजाओं के असफल होने के कारण भविष्यद्वक्ताओं के बारे में अधिक चर्चा की जाने लगी, जो अगुवों और परमेश्वर के जनों को परमेश्वर द्वारा किये जाने वाले न्याय के प्रति चेतावनी देने लगे। एक सच्चे भविष्यद्वक्ता के विरूद्ध बहुत से झूठे भविष्यद्वक्ता खड़े हो जाते थे जो लोगों को मोहमाया और विलासता के जीवन में पुनः धकेलना चाहते हैं।
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