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परमेश्वर का सम्पर्क - पुराने नियम की यात्रा (भाग 4 - भविष्यद्वक्ताओं का यु्ग)Sample
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# एलिय्याह भविष्यद्वक्ता जो कभी मरा ही नहीं
हम सभी के जीवन में कमज़ोर क्षण होते हैं, ठीक उसी प्रकार से एक महान भविष्यद्वक्ता के जीवन में भीकमज़ोर क्षणथे। वह आत्मिक जन होने के साथ साथ एक साधारण मनुष्य भी था,जिसका सामना बार बार उस समय के सबसे खराब राजाओं में से एक–अर्थातअहाब के साथ हुआ। उसके जीवन में परमेश्वर की सामर्थ्य से लेकर निराशजनक परिस्थितियोंको देखकर हमें बहुत ही शक्तिशाली शिक्षाएंप्राप्त होती हैं।
यह समय ऐसा था जिसमें भविष्यद्वक्ताओं के सिर चकरा रहे थे और झूठे भविष्यद्वक्ताओं ने सारे राज्य पर कब्ज़ा कर रखा था। ओबद्याह इस हद तक भयभीत था कि उसे राजा को एलिय्याह के बारे में बताने में भी अपनी जान का खतरा नज़र आ रहा था। लेकिन एलिय्याह अपने भय को दबाकर बड़े साहस के साथ राजा तथा बाल के सभी नबियों का सामना करता है।
विस्फोटक प्रदर्शन
वह इस्राएल के लोगों के सामने चुनौति रखते हुए कहता है कि“यदि यहोवा परमेश्वर है तो,उसके पीछे हो लो;लेकिन यदि बाल परमेश्वर है तो उसके पीछे हो लो। लेकिन लोगों ने उसके उत्तर में एक भी बात नहीं कही।”
लेकिनलोगों ने उसके उत्तर में एक भी बात नहीं कही।”1 राजाओं 18:21
जब यहोवा परमेश्वर व बाल देवता की श्रेष्ठता को साबित करने के लिए एलिय्याह के सामने चुनौति को रखागयाहै,तोउसनेपरमेश्वर के नाम के उत्साह से भरकर बहुत आसानी से उन्हें पराजित करदिया।
गहन अवसाद
उसके सामर्थी संदेश और प्रदर्शनकीन तो राजा और न ही लोगों की ओर से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। बल्कि इज़बेल रानी ने एलिय्याह को मारने की कसम खा ली।1राजाओं19:3में वह वीर भविष्यद्वक्ता अचानक से डर गया और अपना प्राण बचाने के लिए भागने लगा। अपने सेवक को छोड़ने के बाद,उसने परमेश्वर से मृत्यु मांगी।
परमेश्वर ने उसे कई बार थपथपाया और उसे खाने के लिए भोजन और पीने के लिए पानी दिया। उसने उठकर उसे खाया पिया और फिर वह चालीस दिन और दौड़ता रहा।
ईश्वरीय मार्गदर्शन
“परमेश्वर का वचन”उससे एक प्रश्न पूछता है“तेरा यहां क्या काम है एलिय्याह”?एलिय्याह उसको अपना दुःख बयां करता है कि भविष्यद्वक्ता के नाम पर केवल वह ही रह गया है। उससे कहा गया कि परमेश्वर वहां से होकर गुज़रने वाले हैं। तेज़ हवाओं,भूकम्प,आग के बाद,परमेश्वर ने उससे एक धीमी आवाज़ में होकर वही प्रश्न पूछा, “एलिय्याह तेरा यहां पर क्या काम?परमेश्वर ने आगे बढ़कर उसकी सोच को ठीक किया जिसके अनुसार वह कह रहा था कि भविष्यद्वक्ताओं में केवल वह ही अकेला बचा है और उसे बताया कि परमेश्वर ने अभी भी7000अराधकों को अपने लिये बचा कर रखा है। उसके बाद उसने उसे उसी मार्ग पर वापस जाने का आदेश दिया-जिस मार्ग से वह आया था। उसके करने के लिए अभी बड़ा काम बाकि था - अर्थात अपनी मशाल को भविष्यद्वक्ता के रूप में एलीशा के हाथों में सौंपने से पहले दो राजाओं का अभिषेक करना।
क्या हमारी सोच इस तरह सेबादलों द्वाराघिरी हुई है कि हम सारी बातों को परमेश्वर के सामर्थी हाथों द्वारा नियंत्रित होते हुए नहीं देख पा रहे हैं?क्या परमेश्वर हम से भी यह प्रश्न कर रहे हैं कि,“आप यहां पर क्या कर रहे हैं?”कहीं परमेश्वर हम से कोई स्पष्ट परिणाम न मिलने पर भी,कहीं और जाकर उसके लिए कुछ और करने को तो नहीं कह रहे हैं?क्या हम उसकी उस धीमी सी आवाज़ को सुन पा रहे हैं?
Scripture
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