Plan info
जीतने वाली प्रवृति Sample
जीतने वाली प्रवृति 2- शोक करना
मत्ती 5:4 "धन्य हैं वे, जो शोक करते हैं, क्योंकि वे शान्ति पाएंगे।"
किसी न किसी समय में दुःख और आंसू हम सभी के साथी होते हैं। शोक के लिए आत्मिक शब्द ‘पैन्थियो’ का अर्थ "विलाप करना" होता है, वह भौतिक वस्तुओं के नुकसान, अस्विकृती और किसी प्रिय जन के गुज़रने को नहीं दर्शाता है। यह किसी व्यक्ति के अपने ही पापों पर दुखित होने को दर्शाता है। यह एक "ईश्वरीय दुःख" होता है जिससे "पश्चाताप" उत्पन्न होता है जिसका परिणाम उद्धार होता है (2 कुरिन्थियों 7:10)। दुःख के समय में विश्राम और शक्ति और पापों का सामना करने व पाप के विरूद्ध खड़े होने के लिए पश्चाताप को उत्पन्न करता है। पाप के दण्ड से मुक्ति पाना जीवन में केवल एक बार घटने वाली घटना है लेकिन हम पाप की मौजूदगी से छुटकारा पाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं।
हम दो अलग अलग शोकों में अन्तर किस प्रकार पता करते हैं। इस की पहिचान इस बात से होती है कि हमें किस बात से अधिक दुःख पहुंचता है। ये बाहरी परिस्थितियां हैं या फिर हमारे अपने भीतरी पाप। डी.एल.मूडी ने कहा, "मुझे इस संसार में किसी भी जीवित प्राणी से अधिक डी.एल.मूडी से ज़्यादा परेशानी होती है।" पौलुस अपनी व्यथा को प्रगट करते हुए कहता है "मैं कैसा अभागा मनुष्य हूं! मुझे इस मृत्यु की देह से कौन छुड़ाएगा?"
"शोक" के अपने बहुत से लाभ हैं। प्रत्यक्ष लाभ के बारे में हम ने पहले ही चर्चा कर ली है वह पश्चाताप और शोकित करने वाले पापों के दोहराव के विरूद्ध गम्भीर लड़ाई है जिस पर हम शोकित होते हैं। उसके परस्पर लाभ यह भी हैं कि हम दूसरों को अधिक सहानुभूति के साथ देखते, कम दोष लगाते और अधिक प्रेम करते हैं। इसका व्यक्तिगत लाभ यह है कि दुःख हमें अपनी गिरफ्त में नहीं रख पाता या हमें उजाड़ नहीं पाता है वरन वह गायब हो जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप हम में अवसाद या गहरे दुःख की सम्भावना खत्म हो जाती है।
हमारे पापों का केवल निपटारा ही नहीं होता वरन वह स्वर्गीय आत्मिक शोक, अगर देखें तो वास्तव में सांसारिक दुखों को कम करता और परमेश्वर की शान्ति प्रदान करता है। जब हम अपनी घोर अयोग्यताओं को मान लेते और स्वर्गीय पिता पर निर्भर हो जाते हैं, तो यह विनम्रता की आत्मा को सशक्त करता है। यह हमें सहानुभूति प्रदान करता और जब हम हमारे मिशन को पूरा करने के लिए परमेश्वर के साथ भागीदारी निभाते हैं तो, वह हमारी कमज़ोरियों के बावजूद हमें स्वीकार करता है। आत्मिक शोक, ऐसे आनन्द के लिए मार्ग तैयार करता है जो ऊंचा और सम्पूर्ण और पहले से ज्यादा प्रकाशमान होता है। डा.हैनरी ब्रान्ड्ट ने कहा "दूसरे लोग आपकी आत्मा को रचते नहीं हैं, वे केवल उसे प्रगट करते हैं।" जब तक हम अनुमति या मौका न दें कोई हमारे प्राणों को छू नहीं सकता है। वह आलौकिक तौर पर सुरक्षित है।
कौन सी चीज़ हमें सबसे ज्यादा परेशान करती है? हमारी अस्थाई परिस्थितियां या वे चीज़ें जो परमेश्वर को शोकित करती हैं। क्या हम ने कभी उस गहन आनन्द का स्वाद चखा है जो "शोक" के परिणाम स्वरूप उत्पन्न होता है।
There is an audio attachment for this devotional. You can [ download the audio ](https://plan-audio-cdn.youversionapi.com/uploads/supplemental-audio/6bb6f9ae-bd98-472f-8e1a-3d3b25041437.mp3) if you wish.
Scripture
About this Plan
खुशी क्या है? सफलता? भौतिक लाभ? एक संयोग? ये मात्र अनुभूतियां हैं। प्रायः खुशी के प्रति अनुभूति होते ही वह दूर चली जाती है। यीशु सच्ची व गहरी खुशी व आशीष को परिभाषित करते हैं। वह बताते हैं कि आशीष निराश नहीं वरन जीवन रूप...
More