पिन्तेकुस्त की तैयारीUkázka

पिन्तेुस्त का उद्देश्य
उत्त्पत्ति 12 : 2-3
12:2
मैं तुम्हें आशीर्वाद दूँगा। मैं तुझसे एक महान राष्ट्र बनाऊँगा। मैं तुम्हारे नाम को प्रसिद्ध करूँगा। लोग तुम्हारे नाम का प्रयोग दूसरों के कल्यान के लिए करेंगे।
12:3
मैं उन लोगों को आशीर्वाद दूँगा, जो तुम्हारा भला करेंगे। किन्तु उनको दण्ड दूँगा जो तुम्हारा बुरा करेंगे। पृथ्वी के सारे मनुष्यों को आशीर्वाद देने के लिए मैं तुम्हारा उपयोग करूँगा।”
प्रेरितों के काम 1:8
8 “पवित्रात्मा के तुम पर उतरने पर तुम्हें सामर्थ्य प्राप्त होगा और तुम येरूशालेम, सारे यहूदिया, शोमरोन तथा पृथ्वी के दूर-दूर तक के क्षेत्रों में मेरे गवाह होगे.”
हम अक्सर पिन्तेकुस्त को एक त्योहार के रूप में देखते हैं जिसमें हम व्यक्तिगत रूप से कुछ प्राप्त करते हैं। जबकि यह सच है, यदि हम केवल स्वयं पर ध्यान केंद्रित करते हैं तो हम असली उद्देश्य से चूक जाते हैं। परमेश्वर जो कुछ करता है वह उसकी महिमा के लिए होता है और उसका नाम लोगों के बीच प्रकट किया जाता है। ऐसा लगता है की शायद परमेश्वर अपने लिए ही सोचतें हैं! लेकिन वास्तव में वह जानते है कि अगर लोग उसे जानें और उसकी उपासना करें तो यह अंततः उनके लिए सबसे अच्छा होगा।
इज़राइल लगभग 20 लाख की जनसंख्या के साथ एक विशाल राष्ट्र में बदल गया था। मिस्र में ४०० से अधिक वर्षों के बाद और गुलामी के तहत, यह विशाल राष्ट्र केवल एक मौखिक परंपरा के साथ और अपने पुरखो के दिए हुए विश्वास के साथ एक प्रभावशाली राष्ट्र बनने के लिए पर्याप्त नहीं था। एक पवित्र राष्ट्र के रूप में उजागर हो जाने के लिए उन्हें व्यक्तिगत रूप से परमेश्वर को जानने की आवश्यकता थी। इसलिए मूसा ने उन्हें सिनै पर्वत पर इकट्ठा किया था । परमेश्वर की व्यवस्था देने और अपने आप को उन पर प्रकट करने के लिए। यह एक राष्ट्र को प्रभवशाली बनाने के लिए परमेश्वर का तरीका था।
इज़राइल प्रभावशाली राष्ट्र बनने में बुरी तरह से असफल रहा था। उन्होंने कानून को नियमों और परंपराओं में बदल दिया था जो लोगों को बांधते थे। वे बदल गए थे और दुनिया के राष्ट्रों को आशीषित करने के आदेश को भूल गए थे। जिन अन्यजातियों को यहोवा के बारे में बताया जाना था, उन्हें नीची जाती का और अछूत माना जाने लगा था। जैसे वचन में लिखा था कि जल समुद्र को ढँक देता है, वैसे ही पृथ्वी परमेश्वर की महिमा कैसे प्राप्त करेगी?
और फिर आया दूसरा पिन्तेकुस्त ! जब परमेश्वर अब अपनी आत्मा उंडेलता है जो पूरे यहूदी समुदाय द्वारा देखा जाता है। परमेश्वर के राज्य में 3000 आत्माओं का बचाया जाना जो सुसमाचार को दुनिया के छोर तक ले जाने के लिए तैयार थे। इसके बाद हम देखते है परमेश्वर का ह्रदय जो अन्य जातियों के बचाये जाने के लिए और कलीसिया में जोड़े जाने के लिए है। क्या यहूदी क्या अन्यजाती परमेश्वर हर एक को विश्वासी में बदल रहा था l इस तरह पिन्तेकुस्त का उद्देश्य सही तरीके से पूरा हो रहा था की परमेश्वर के लोग उसके सुसमाचार को दुनिया के हर कोने तक पहुँचाये l
क्या आप इस उद्देश्य को पूरा कर रहे हैं ?
O tomto plánu

पिन्तेकुस्त पर 5 दिन का अध्याय जो विश्वासी के हिरदय को इस ख़ास दिन के लिए तैयार करेगा। विश्वासी के हिरदय को इस ख़ास दिन के लिए तैयार करेगा। जब हम इस यहूदी पर्व और नए नियम की पूर्ती को समझ जायेंगे तब हम पूरी तरह से पवित्र आत्मा के लिए तैयार हो जायेंगे।
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