ज़ाऐयों ईनू लोगों खे बुलो, के तुऐं शुण्दे तअ रंह्ले; परह् संहम्झों दे ने आथी!
अरह् देंख्दें तअ रंह्ले; परह् तुवाँरे संहम्झ दो ने आँव!
किन्देंखे के ऐजे लोग मंन के कुँठूर असो; ऐ तअ काँनों शे जाऐरे हंऐ रूऐ!
अरह् ईन्ऐं आप्णी आखी बंद करी थई; जू कंद्दी ऐशों ने हऐयों, के ऐ किऐ
आँखी लई देखो! अरह् काँनों लई शुँणों! अरह् मंन शो संहम्झों अरह् बुराई शे पाछ़ू फीरों, अरह् तबे हाँव ईनू चाँग्गै करू।