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धन्यवाद से परिपूर्ण जीवन जीना

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नोविज्ञान के क्षेत्र से एक वाक्यांश—ऐसे रिश्ते का वर्णन करता है जिसमें एक व्यक्ति किसी और पर निर्भरहोता है,लेकिन वह उससे खुश नहीं होता। उनके बीच तनाव रहता है। हो सकता है कि वह(स्त्री या पुरुष)उस व्यक्ति या स्थिति को पसंद न करे,लेकिन निर्भरता के अलावा उसके पास कोई विकल्प नहीं है। नास्तिक ठीक ऐसी ही समस्या को महसूस करते हैं। वे किसी दिव्यसत्ता पर निर्भरता के विचार को नापसंद करते हैं। वे जीवन के दाता को अस्वीकार करते हैं। बहुत से मसीहीकार्यकर्ता धन उगाहने के बारे में सोचते समय शत्रुतापूर्ण निर्भरता के समान कुछ महसूस करते हैं। यद्यपि वे दान दाताओं को नापसंद नहीं करते हैं,लेकिन वे सेवाके कार्य के लिए उन निर्भर हैं जो उन्हें नापसंद हैं। कभी-कभी पति-पत्नी,बच्चे,कर्मचारी और सैनिक भी तनाव महसूस करते हैं।

शत्रुतापूर्वक निर्भरता के विपरीत“शत्रुतापूर्वक निर्भरता”—मकृतज्ञतापूर्वक निर्भरता है। कृतज्ञतापूर्वक निर्भरता धन्यवाद का सार है,जो विशेष रूप से एक प्रेमपूर्ण परोपकार के मामले में उपयुक्त है। दुर्भाग्य से,मसीही लोग कभी-कभी शत्रुतापूर्वक निर्भरता और कृतज्ञतापूर्वक निर्भरता के बीच एक मध्य बिंदु को खोजने की कोशिश करते हैं,और वह यह मानते हैं कि परमेश्वर के प्रति गैर-शत्रुता कृतज्ञता के समान है। धन्यवाद की आत्मा के विपरीत और कुछ नहीं हो सकता। हमें जीवन जीने की प्रत्येक क्षेत्र में धन्यवाद को विकसित करने की आवश्यकता है।

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धन्यवाद से परिपूर्ण जीवन जीना

जीवनदाता और सभी आशीषों पर अपनी निर्भरता पर विचार करते हुए डॉ.रमेश रिचर्ड के साथ हुए सात दिन बिताएं। वह RREACH के अध्यक्ष और डालास थियोलोजिकल सेमिनरी के आचार्य हैं ,जो पासबान के दृष्टिकोण को रखते हुए बताएंगे कि जीवन में कृतज्ञता का कैसे अभ्यास करना चाहिए। आइए हम अपने पास पाई जाने वाली चीज़ों और सभी ज़रूरी चीज़ों के लिए परमेश्वर का धन्यवाद व उस पर भरोसा करें।

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