सच्ची आत्मिकता ਨਮੂਨਾ

बुराई पर विजय पाना
कल के अनुच्छेद में हम से आग्रह किया गया था कि हम वास्तविकता के साथ लोगों को प्रेम करें। लेकिन आप उन लोगों के प्रति क्या प्रतिक्रिया देते हैं जो बदले में प्रेम नहीं करते? बल्कि उससे भी बढ़कर, वह आपके विश्वास का, आपके दुश्मन के समान विरोध करता है?
सच्ची आत्मिकता किस प्रकार अन्याय के साथ व्यवहार करती है।
यदि आप इसी एक स्पष्ट तस्वीर को चाहते हैं, तो आप केवल यीशु की ओर देख लें। उसने किस प्रकार से प्रतिक्रिया दी?
प्रेम के साथ। कोई विरोध नहीं, शाप नहीं, बदला नहीं। उसने केवल प्रेम किया।
हमारा बुरा करने और चाहने वाले लोगों के साथ व्यवहार करना बहुत मुश्किल हो जाता है। चाहे वह गालियां देना हो, अन्याय हो, सम्बन्धों में विश्वासघात हो, पुराने जख्मों और कड़वाहट को भुला पाना असम्भव हो जाता है।
फिर भी पौलुस हमें रोमियों 12:14-21 में एक बड़ी आज्ञा प्रदान करता है जो विरोधियों के सामने एक प्रेम की तस्वीर को तैयार करती है।
सबसे पहले, “जो तुम्हें सताते हैं उन्हें आशीर्वाद दो” (पद. 14)।
हमें बुराई का जबाव ठीक उसी तरह से देना है जैसा यीशु ने दिया था। हमें इस संसार के सदृश्य नहीं वरन जीवित बलिदान बनने के लिए बुलाया गया है। हमें दूसरों को आशीष देनी है क्योंकि यही हमारे परमेश्वर का स्वभाव है।
दूसरा, “बुराई के बदले बुराई न करें” (पद 17)।
बल्कि जितना सम्भव हो सके हमें “दूसरों के साथ मेल के साथ रहना है।” (पद 18) । यह आसान नहीं है लेकिन परमेश्वर हमें ऐसा करने का अनुग्रह प्रदान करता है। हमें सुसमाचार को अमल में लाना है।
क्लेशों या झगड़ों से बचना तो मुश्किल है, लेकिन मन परिवर्तित जीवित बलिदान के रूप में, आपको किसी भी परिस्थिति में विरोध करने के लिए नहीं बुलाया गया है। सच्ची आत्मिकता का अर्थ किसी भी मामले को अपने में रखने की बजाय परमेश्वर के हाथों में सौंप देना है। क्या आप परमेश्वर पर विश्वास करने और यह भरोसा करने के लिए तैयार हैं कि आपका जीवन, आपके सम्बन्ध, आपकी बुलाहट उसके साथ सुरक्षित है?
ਪਵਿੱਤਰ ਸ਼ਾਸਤਰ
About this Plan

एक सच्चे मसीही का जीवन कैसा होता है?रोमियों 12, बाइबल का यह खण्ड, हमें एक तस्वीर प्रदान करता है। इस पठन योजना में आप, सच्ची आत्मिकता के अन्तर्गत पढ़ेंगे कि परमेश्वर हमारे जीवन के हर एक हिस्से को बदलते हैं- अर्थात हमारे विचारों, नज़रिये, दूसरों के साथ हमारे रिश्ते, बुराई के साथ हमारी लड़ाई को। परमेश्वर की उत्तम बातों को ग्रहण करके आज ही गहराई से संसार को प्रभावित करें।
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