सच्ची आत्मिकता ਨਮੂਨਾ

वास्तविक समाज का अनुभव करना
यीशु के क्रूसीकरण से पहले वाली रात को याद करें? उसने अपने विश्वासियों को एक नयी आज्ञा दी- कि वे दिल की गहराई से एक दूसरे को प्रेम करें।
यीशु ने प्रार्थना की कि उसके अनुयायी उस प्रेम और एकता का अनुभव कर पाएं जो उसकी परमेश्वर पिता के साथ में है (यूहन्ना 13:34; 17:20-24)। देने वाले व्यक्ति के मन से प्रेम भाग उमड़ता है। यह प्राप्त करना व्यक्ति की योग्यता पर निर्भर नहीं होता।
पौलुस इस बुलाहट के बारे में रोमियों 12:10 में फिर पुनः बात करता हैः
“भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो।”
आज के वचन पठन में, विश्वासियों की एक वातस्तविक समाज की तस्वीर को सामने रखता है जो एक दूसरे को पूरी गम्भीरता के साथ प्रेम करते हैं। वह हम से निम्नलिखित काम करने के लिए कहता है:
· एक दूसरे को अपने से बढ़कर समझते हुए आदर करो।
· लगन के साथ परमेश्वर की सेवा करो।
· आशा में आनन्दित रहो।
· क्लेश में स्थिर रहो।
· प्रार्थनाओं में विश्वासयोग्य रहो।
· पवित्र लोगों को जो कुछ अवश्य हो, उस में उन की सहायता करो।
· पहुनाई करने में लगे रहो।
इस प्रकार का आत्मिक समाज दुर्लभ हो सकता है (और ऐसा बनना आज के दिन में होना और भी मुश्किल है)। लेकिन जब ऐसा करने का प्रयास करते हैं तो इससे आपका जीवन पूरी रीति से बदल सकता है।
जब हम एक दूसरे के जीवन का हिस्सा बन जाते हैं, तो हम मसीह और उसकी प्रतिज्ञाओं पर आशा करते हुए जीवन की सर्वाधिक कठिन परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं। हम एक दूसरे और परमेश्वर के साथ एकता में बढ़ते हैं।
क्या आप प्रेम करने और त्याग भावना के साथ सेवा करने के लिए दूसरे विश्वासियों के साथ रिश्ता बनाने के लिए कदम आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं? परमेश्वर आपकी मदद करेगें। वह चाहता है कि आप -अन्य विश्वासियों पर - उसके प्रेम को प्रगट करें और आपके जीवन के लिए उसकी सबसे बड़ी इच्छा को पूरा करें।
ਪਵਿੱਤਰ ਸ਼ਾਸਤਰ
About this Plan

एक सच्चे मसीही का जीवन कैसा होता है?रोमियों 12, बाइबल का यह खण्ड, हमें एक तस्वीर प्रदान करता है। इस पठन योजना में आप, सच्ची आत्मिकता के अन्तर्गत पढ़ेंगे कि परमेश्वर हमारे जीवन के हर एक हिस्से को बदलते हैं- अर्थात हमारे विचारों, नज़रिये, दूसरों के साथ हमारे रिश्ते, बुराई के साथ हमारी लड़ाई को। परमेश्वर की उत्तम बातों को ग्रहण करके आज ही गहराई से संसार को प्रभावित करें।
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